Thursday 1 January 2015

भोजन में चिकनाई बंद कर दें

हाथ पैरों का सुन्न होना : 
हममें से लगभग सभी ने अनुभव किया होगा.
आइये जाने क्यों हो जाते है शरीर के अंग सुन्न : 
हर किसी के सोने की खास मुद्रा यानी स्लीपिंग पोजिशन होती है। कोई पेट के बल सोता है, कोई पीठ के तो कोई करवट लिए। कुछ लोग बिस्तर पर लेटते तो सामान्य पोजिशन में हैं, पर जैसे-जैसे नींद गहराती है, उनकी मुद्रा तरह-तरह के आकार ले लेती है। बात रोचक भले ही लगे, मगर मत भूलिए कि ये मुद्राएं आपके स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती हैं।
हाथ या पैर का सुन्न हो जाना हममें से लगभग सभी ने अनुभव किया होगा.आइये जाने क्यों हो जाते है शरीर के अंग सुन्न.
शरीर का कोई अंग यदि किसी दबाव में ज्यादा समय तक रहता है,तो वह सुन्न हो जाता है.वस्तुतः यह दबाव हाथ या पैर की नसों पर पड़ता है, ये नसें कई एक कोशीय फाइबर से बनी होती है. प्रत्येक एक कोशीय फाइबर अलग-अलग संवेदनाओं को मस्तिष्क तक पहुँचाने का कार्य करता है.इन फाइबरों की मोटाई भी कम-ज्यादा होती है.इसका कारण माइलिन नामक श्वेत रंग के पदार्थ द्वारा बनाई गई झिल्ली है.इन पर दबाव पड़ने से मस्तिस्क तक नसों द्वारा पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन और रक्त का संचरण नहीं हो पता है. मस्तिष्क तक उस अंग के बारे में पहुंचने वाली जानकारी रक्त और आक्सीजन के अभाव में अवरूद्ध हो जाती है.इस कारण वहां संवेदना महसूस नहीं हो पाती और वह अंग सुन्न हो जाता है.
जब उस अंग पर से दबाव हट जाता है तब रक्त और आक्सीजन का संचरण नियमित हो जाता है और पुनः उस अंग में संवेदनशीलता लौट आती है.
पेरिफेरल वैस्कुलर डिसीज :
पेरिफेरल वैस्कुलर डिसीज धमनी की मुख्य बीमारी है। इस बीमारी में धमनियां छोटी होती जाती हैं और कभी-कभी तो पूरी तरह से ब्लॉक हो जाती हैं। पीवीडी पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज से मतलब है हाथ-पाँवों की रक्तवाहिकाओं के तंग होने की वजह से खून की आवाजाही कम हो जाना। 
लक्षण :
इस रोग में रक्त धमनियों की भीतरी दीवारों पर वसा जम जाती है। ये हाथ-पांवों के ऊतकों में रक्त प्रवाह को रोकता है। इस रोग के प्राथमिक चरण में चलने या सीढ़ियां चढ़ने पर पैरों और कूल्हों थकाना या दर्द महसूस होता है। अन्य लक्षण होते हैं दर्द, सुन्न होना, पैर की पेशियों में भारीपन। शारीरिक काम करते समय मांसपेशियों को अधिक रक्त प्रवाह चाहिए होता है। 
मधुमेह या डायबिटीज मेलीटस :यदि आपको मधुमेह है तो रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रण में रखें,क्या है 
यह बीमारी उन लोगों में ज्यादा होती है, जो हाइपरटेंशन, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हाईकॉलेस्ट्रॉल के मरीज होते हैं या उनके खून में फैट या लिपिड की मात्रा ज्यादा होती है। साथ ही धूम्रपान ज्यादा करने वालों को भी ये समस्या होती है। इसके अलावा, खून का थक्का जमने के कारण रक्त-शिराएं ब्लॉक हो जाती हैं। 
क्या करें ?
- धूम्रपान कम करें
-रोजना व्यायाम करें, वॉकिंग कारगर होती है
-पोषण युक्त, कम-फैट युक्त और कम कोलेस्ट्रॉल वाले भोजन का सेवन करें 
-पैरों का ख्याल रखें 
-रक्त चाप पर नियंत्रण रखें।
- शराब सीमित मात्रा में लें.
- धूम्रपान बंद करें। यदि आप धूम्रपान नहीं कर रहे हों तो उसे शुरू न करें.
- भोजन में चिकनाई बंद कर दें |
- टमाटर ,चुकंदर ,प्याज का सलाद के रूप में ज्यादा इस्तेमाल करें |
- पानी खूब पीवें |दूध पीवें |
-सबसे बड़ी बात खुश रहें |
- औषिधि के रूप में सिर्फ "" नवायस लौह वटी "" २ -२ गोली दूध के साथ सुबह शाम सेवन करें |
कष्टदायक लक्षणों की शांति का उपाय किया जाता है, यथा सेंक, हल्की मालिश, विद्युत्तेजन, पीड़ानाशक औषधि आदि। 
विटामिन बी 1 का उपयाग लाभदायक हो सकता है। 
पेशियों का संकुचन रोकना चाहिए।
- उड़द की दाल पीसकर उसे घी में भूनें इसमें गुड़, सोंठ पीसकर मिला दें। लड्डू बनाये। इसे नित्य एक लड्डू का सेवन करें।
-सोंठ पाउडर व उड़द की दाल उबालकर इसका पानी पीने से लकवा तक ठीक होता है। हाथ पैर सुन्न होने पर एक गांठ लहसुन की तथा सोंठ पानी के साथ पीस लें जो अंग सुन्न हो रहा हो उस पर इसका लेप करें तथा बासी मुंह दो कली लहसुन की व जरा सी सोंठ चबायें। यह प्रयोग कम से कम 10-12 दिन तक करें अवश्य आराम मिलेगा।
- विटामिन बी-12, विटामिन डी, विटामिन इ, कैल्शियम की पर्याप्त मात्र लें. अगर भोजन में शामिल न कर सकें, तो महीने तक गोलिओं के रूप में लें.

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