Sunday 25 January 2015

अष्टसिद्धियाँ प्राप्त होती है

·आकाश तत्व - यह तत्व विशुद्ध चक्र में स्थित है । इसका स्थान कण्ठ है । यह चक्र जनः लोक का प्रतिनिधि है । आकाश तत्व का रंग नीला और आकृति अंडे की तरह लम्ब-गोल है । कोई इसे निराकार भी मानते है । इसका गुण शब्द और ज्ञानेन्द्रिय कान तथा कर्मेन्द्रिय वाणी है ।
ध्यान विधि - उसी तरह आसनस्थ होकर -
हं बीजं गगनं ध्यायेन्निराकारं बहुप्रभम् ।
ज्ञानं त्रिकालविषयमैश्वर्यमणिमादिकम् ।।
अर्थात् हं बीज का जाप करते हुए निराकार चित्र-विचित्र रंगवाले आकाश का ध्यान करें । इससे तीनों कालों का ज्ञान, ऐश्वर्य तथा अणिमादि अष्टसिद्धियाँ प्राप्त होती है ।
इस प्रकार इन उक्त विधियों से सतत नित्यप्रति छः मासतक अभ्यास करते रहने से तत्व सिद्ध हो जाते है ।                               

No comments:

Post a Comment