Monday 26 January 2015

कुण्डलिनी का जागरण सरल हो जाता है

· अग्नि तत्व - शरीर में इसका निवास स्थान मणिपूर चक्र है । यह चक्र नाभि में स्थित है और स्वः लोक का प्रतिनिधि है ।
अग्नि तत्व का रंग लाल तथा गुण रूप है । इसकी आकृति त्रिकोण है । इसकी ज्ञानेन्द्रिय आँख
और कर्मेन्द्रिय पैर है । क्रोधादि विकार तथा सूजन आदि में इस तत्व की प्रधानता होती है । इस तत्व की सिद्धि से अपचनादि पेट के विकार दूर हो जाते है और कुण्डलिनी का जागरण सरल हो जाता है ।
ध्यान विधि - उपर्युक्त आसन में बैठकर -
रं बीजं शिखिनं ध्यायेत् त्रिकोणमरूणप्रभम् ।
बह्वन्नपानभोक्तृत्वमातपाग्निसहिष्णुता ।।
रं बीजवाले, त्रिकोण और अग्नि के समान लाल प्रभाववाले अग्नि का उक्त चक्र में ध्यान करें । तत्व सिद्ध होने पर अत्यन्त अन्न ग्रहण करने की शक्ति, अत्यन्त पीने की शक्ति तथा धूप और अग्नि के सहन करने की शक्ति आ जाती है ।                                                    

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