Sunday 30 March 2014

मनुष्य इस जगत मैं हज़ारों माता पिताओं तथा सेंकडओं स्त्री.... पुत्रों के संयोग वियोग का अनुभव कर चुके है

मनुष्य इस जगत मैं  हज़ारों माता पिताओं  तथा सेंकडओं स्त्री.... पुत्रों के संयोग वियोग का अनुभव कर चुके है,करते हैं ओर करते रहेगें , अग्यानि मनुष्यों को प्रतिदिन हर्ष के हज़ारों ओर भय के सेंकडओं  किन्तु विद्वान मनुष्यों के मन पर उनका  कोई प्रभाव नहीं पड़ता,,,
मैं दोनो हाथ उपर उठा कर पुकार पुकार कर कह रहा हूँ पर मेरी बात कोई नहीं सुनता ,, धर्म मैं मोक्ष तो सिद्ध होता ही है,,
अर्थ ओर काम भी सिद्ध होते है तो भी लोग उसका सेवन क्यों नहीं करते,,
कामना से, भय से,, लोभ से , अथवा प्राण बचाने के लिय भी लोग धर्म का त्याग न करें,, धर्म नित्य है, ओर सुख दुख अनित्य है इसी प्रकार जीवात्मा नित्य है ओर उसके बँधन का हेतु राग अनित्य है
जय श्री कृष्णा

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