Thursday 27 March 2014

रजनीश एक प्रतिभावान दार्शनिक थे

रजनीश एक प्रतिभावान दार्शनिक थे । इसका अर्थ यह नहीं हुआ कि वह एक धर्मज्ञ-धर्मात्मा-महात्मा थे । इसका अर्थ यह भी नहीं हुआ कि वह सर्वज्ञ थे-किसी भी विषय पर बोल सकते थे । इसका अर्थ यह भी नहीं हुआ कि हर विषय पर उनकी बातें सही ही हों । नि:सन्देह सच्चाई यह है कि धर्म के विषय में वे बिल्कुल ही अनजान थे । धर्म का अ-आ-इ-ई भी नहीं जानते थे क्योंकि दर्शन शास्त्र पढ़कर दार्शानिक बना जा सकता है-- आध्यात्मिक गुरु और तात्त्विक सद्गुरु बनना तो दूर रहा, साधक ही नहीं कहला सकते-- ज्ञानी कहलाना तो और ही आगे की बात हो गई । वे योगी-साधक आध्यात्मिक भी नहीं थे ।

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