Thursday 27 March 2014

किसी के भी शत्रुता करने से क्या हो सकता है

किसी के भी शत्रुता करने से क्या हो सकता है
जिसे श्री कृष्ण बड़ा बनाते हैं उससे जो मुकाबला  ( स्पर्धा ) करता है उसका गर्व झूठा है ( चूर चूर) हो जाता है
जो चंद्रमा की ओर धूलि उड़ाएगा लोट कर उसी के मुख पर वह धूल पड़ेगी, पक्षी कहीं समुंद्र उलिच सकता है, या वायु से कहीं
पर्वत इदर उधर हो सकता है  जिनकी किर्पा पतित भी पावन हो जाते हैं  जिनके चरण स्प्रश से पत्थर बनी अहिल्या भी मुक्त हो गई यदि भगवान अपने अनुकूल  हैं तो ,,, चाहे सारा संसार दाँत पीसकर ( क्रोध करके ) मर जाय, एक बॉल भी नही हटा सकता , हे जीव तू अपने आप को भगवान जी के आगे पूर्ण तोर पर समर्पित करके तो देख
जय श्री कृष्णा

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