1. जो अपने सुख के लिए वस्तुओं की इच्छा करता है उसको वस्तुओं के अभाव का दुख तो भोगना ही पड़ेगा
    चाहे साधु बनो चाहे घर मैं रहो (जब तक कामना ) कुछ पाने की इच्छा रहेगी तब तक शान्ति नही मिल सकती
    अगर शान्ति चाहते हो तो , यों होना चाहिय यों नहीं होना चाहिय, इसको छोड़ दो ओर जो भगवान चाहे वही होना चाहिये इसको स्वीकार कर लो समझो आप का काम बन गया
    जय श्री कृष्णा