Monday 31 March 2014

गुरु उसी को जानिए जो दुखे दुखाय नाहीं

गुरु उसी को जानिए जो दुखे दुखाय नाहीं
पान फूल छेड़े नहीं रहे बगीचे माही
क्या धन्ने के गुरु मंडलेश्वर थे क्या सदना कसाई के गुरु किसी बड़े मठ के सवामी थे तो कहा जाएगा के नहीं
आज 90 % लोग गुरु वाले हैं लेकिन उनका कर्म नहीं सुधरा भजन तो बॅड गया ओर कर्म से वही रहगाए
यदि एसा होता तो हर चीज़ मैं मिलावट ओर रिश्वत खोरी ना होती ओर ना ही व्रिध आश्रम बनाने की ज़रूरत पड़ती
गुरु होने से कुछ नही होता जबतक जीव अन्तमुख नही होता
आज तो शिष्य बनाने की होड़ सी लगी हुई है कों गुरु देखता है के जो शिष्य बनने आया है वह इसके काबिल भी है के नही
बस यह देखा जाता है शिष्य दान कितना दे रहा है गुरु से मिलना होतो पहले मोटी रकम देनी पड़ती है ओर वो भी अजेंटों के द्वारा ली जाती है गुरु पूर्णिमा का पर्व नज़दीक है ओर आज के गुरु लोगो ने पहले से ही ते कर रखा है के किस शहर मैं कितना धन इकठा होगा वहीं पे पूजा कराई जाए

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