Sunday 30 March 2014

दूसरे सब पतित तो बस दो चार दिन के पतित ही होते हैं

हे भगवान ,  हे मेरे गुरु देव  , मैं सब पतीतों का तिलक ( सिरमोर सबसे बड़ा पतित ) हूँ , दूसरे सब पतित तो बस दो चार दिन के पतित ही होते हैं ( थोड़े समय के लिय ) मैं तो कई जन्मों का पतित हूँ यदि पिछले जन्मों की बात ना भी करूँ तो भी इस जन्म मैं ही इतने घोर पाप कर चुका हूँ की उन पपियों का सरदार ही बन गया हूँ ,,,, व्याध, अजामिल,,, गणिका,,,, पूतना,,, का ही आप जी ने उधार किया,, हे प्रभु जीमुझे  छोडकर आपने दूसरों का उधार किया ,,यही बात  ह्रदय  का शूल पीड़ा बन गई है यह वेदना केसे मिटे ,,हे प्रभु जी यह बात मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ की मेरे समान पाप करने मैं समर्थ कोई ओर हो ही नही सकता ,,,,ओर ना ही किसी मैं इतने पाप करने की समर्थता है ,, हे प्रभु जी मैं इसी लज्जा से मरा जाता हूँ की मुझ से भी बड़े अच्छे पतित ओर कों हो गये ( जिनका उधार करके आप पतित पावन कहलाते हैं) यदि मेरा उधार करो तो जानूँ तब तो मानूं के आप पतित पावन हो,
जय श्री कृष्णा

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