एक व्यक्ति था एक बार एक संत
उसके नगर में आये वह उनके दर्शन
करने गया और संत से बोला-
स्वामी जी! मेरा एक बेटा है,
वो न तो भगवान को मानता है,
न ही पूजा-पाठ करता है, जब
उससे कहो तो कहता है मै
किसी संत को नहीं मानता, अब
आप ही उसे
समझाइये.स्वामी जी ने कहा-
ठीक है मैं तुम्हारे घर आऊँगा.
एक दिन वे उसके घर गए और
उसके बेटे से बोले - बेटा एक बार
कहो राधा, बेटा बोला मै
क्यों कहूँ, स्वामीजी ने बहुत
बार कहा, अंत में वह बोला मै
‘राधा’ क्यों कहूँ,स्वामी जी ने
कहा- जब तुम मर जाओ तो मरने
पर यमराज से पूँछना कि एक
बार राधा नाम लेने
की क्या महिमा है
इतना कहकर वे चले गए.
एक दिन वह मर गया यमराज के
पास पहुँच गया तब उसने
पूँछा आप मुझे बताये की एक बार
राधा नाम लेने
की क्या महिमा है?
यमराज ने कहा- मुझे
नहीं पता कि क्या महिमा है,
शायद इन्द्र
को पता होगा चलो उससे पूछते
है जब उसने देखा की यमराज
तो कुछ ढीले पड़ रहे है
तो बोला- मै ऐसे नहीं जाऊँगा,
पालकी मँगाओ तुरंत पालकी आ
गयी कहार से बोला- आप
हटो यमराज जी आप
इसकी जगह लग जाओ, यमराज
लग गए, इंद्र के पास गए,
इंद्र ने पूछा – ये कोई खास है
क्या? यमराज जी ने कहा- ये
पृथ्वीसे आया है और एक बार
राधा नाम लेने
की क्या महिमा है पूँछ रहा है
आप बताइये, इंद्र ने कहा -
महिमा तो बहुत है पर क्या है
ये नहीं पता,ये
तो ब्रह्मा जी ही बता सकते है.
व्यक्ति बोला - तुम
भी पालकी में लग जाओ,अब
उसकी पालकी में एक ओर
यमराज दूसरी ओर इंद्र लग गए,
ब्रह्मा जी के पास पहुँचे
ब्रह्मा जी ने कहा- ये कोई
महान व्यक्ति लगता है जिसे ये
पालकी में लेकर आ रहे है
ब्रह्मा जी ने पूँछा ये कौन है?
तो यमराज जी ने कहा- ये
पृथ्वी से आया है और एक बार
राधा नाम लेने
की क्या महिमा है पूँछ
रहा है.आप
को तो पता ही होगा.
ब्रह्मा जी ने कहा –
महिमा तो अनंत है पर ठीक-
ठीक तो मुझे भी नहीं पता, शंकर
जी ही बता सकते है. व्यक्ति ने
कहा-तीसरी जगह पालकी में
आप लग जाइये
ब्रह्मा जी भी लग गए
पालकी लेकर शंकरजी के पास
गए .शंकर जी ने कहा ये कोई
खास लगता है
जिसकी पालकी को यमराज,
इंद्र, ब्रह्मा जी, लेकर आ रहे है,
पूँछा तो ब्रह्मा जी ने कहा ये
पृथ्वी से आया है और एक बार
राधा नाम लेने की महिमा पूँछ
रहा है हमें तो पता नहीं आप
को तो जरुर पता होगा आप
तो समाधी में
सदा उनका ही ध्यान करते है
शंकर जी ने कहा- हाँ, पर ठीक
प्रकार से तो मुझे भी नहीं पता,
विष्णु जी ही बता सकते है.
व्यक्ति ने कहा –आप
भी चौथी जगह लग जाइये अब
शंकर जी भी पालकी में लग गए
अब चारो विष्णु जी के पास गए
और पूँछा कि एक बार
राधा नाम लेने
की क्या महिमा है भगवान ने
कहा राधा नाम
की यही महिमा है
कि इसकी पालकी आप जैसे देव
उठा रहे है ये अब मेरी गोद में
बैठने का अधिकारी हो गया है.
जय श्री राधे
उसके नगर में आये वह उनके दर्शन
करने गया और संत से बोला-
स्वामी जी! मेरा एक बेटा है,
वो न तो भगवान को मानता है,
न ही पूजा-पाठ करता है, जब
उससे कहो तो कहता है मै
किसी संत को नहीं मानता, अब
आप ही उसे
समझाइये.स्वामी जी ने कहा-
ठीक है मैं तुम्हारे घर आऊँगा.
एक दिन वे उसके घर गए और
उसके बेटे से बोले - बेटा एक बार
कहो राधा, बेटा बोला मै
क्यों कहूँ, स्वामीजी ने बहुत
बार कहा, अंत में वह बोला मै
‘राधा’ क्यों कहूँ,स्वामी जी ने
कहा- जब तुम मर जाओ तो मरने
पर यमराज से पूँछना कि एक
बार राधा नाम लेने
की क्या महिमा है
इतना कहकर वे चले गए.
एक दिन वह मर गया यमराज के
पास पहुँच गया तब उसने
पूँछा आप मुझे बताये की एक बार
राधा नाम लेने
की क्या महिमा है?
यमराज ने कहा- मुझे
नहीं पता कि क्या महिमा है,
शायद इन्द्र
को पता होगा चलो उससे पूछते
है जब उसने देखा की यमराज
तो कुछ ढीले पड़ रहे है
तो बोला- मै ऐसे नहीं जाऊँगा,
पालकी मँगाओ तुरंत पालकी आ
गयी कहार से बोला- आप
हटो यमराज जी आप
इसकी जगह लग जाओ, यमराज
लग गए, इंद्र के पास गए,
इंद्र ने पूछा – ये कोई खास है
क्या? यमराज जी ने कहा- ये
पृथ्वीसे आया है और एक बार
राधा नाम लेने
की क्या महिमा है पूँछ रहा है
आप बताइये, इंद्र ने कहा -
महिमा तो बहुत है पर क्या है
ये नहीं पता,ये
तो ब्रह्मा जी ही बता सकते है.
व्यक्ति बोला - तुम
भी पालकी में लग जाओ,अब
उसकी पालकी में एक ओर
यमराज दूसरी ओर इंद्र लग गए,
ब्रह्मा जी के पास पहुँचे
ब्रह्मा जी ने कहा- ये कोई
महान व्यक्ति लगता है जिसे ये
पालकी में लेकर आ रहे है
ब्रह्मा जी ने पूँछा ये कौन है?
तो यमराज जी ने कहा- ये
पृथ्वी से आया है और एक बार
राधा नाम लेने
की क्या महिमा है पूँछ
रहा है.आप
को तो पता ही होगा.
ब्रह्मा जी ने कहा –
महिमा तो अनंत है पर ठीक-
ठीक तो मुझे भी नहीं पता, शंकर
जी ही बता सकते है. व्यक्ति ने
कहा-तीसरी जगह पालकी में
आप लग जाइये
ब्रह्मा जी भी लग गए
पालकी लेकर शंकरजी के पास
गए .शंकर जी ने कहा ये कोई
खास लगता है
जिसकी पालकी को यमराज,
इंद्र, ब्रह्मा जी, लेकर आ रहे है,
पूँछा तो ब्रह्मा जी ने कहा ये
पृथ्वी से आया है और एक बार
राधा नाम लेने की महिमा पूँछ
रहा है हमें तो पता नहीं आप
को तो जरुर पता होगा आप
तो समाधी में
सदा उनका ही ध्यान करते है
शंकर जी ने कहा- हाँ, पर ठीक
प्रकार से तो मुझे भी नहीं पता,
विष्णु जी ही बता सकते है.
व्यक्ति ने कहा –आप
भी चौथी जगह लग जाइये अब
शंकर जी भी पालकी में लग गए
अब चारो विष्णु जी के पास गए
और पूँछा कि एक बार
राधा नाम लेने
की क्या महिमा है भगवान ने
कहा राधा नाम
की यही महिमा है
कि इसकी पालकी आप जैसे देव
उठा रहे है ये अब मेरी गोद में
बैठने का अधिकारी हो गया है.
जय श्री राधे
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