Wednesday 5 November 2014

भगवान शिव की नियमित आराधना करें और सायंकाल कपूर का दीप दिखाएँ।

कालचक्र की कुंडली में कर्म और आय भाव का स्वामी होने के कारण, शनि किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आपकी व्यक्तिगत कुंडली में शनि का सीधा सम्बन्ध कर्म भाव से हो या ना हो परन्तु कर्मों का लेखा-जोखा वह रखता ही है, और जीवन में आर्थिक स्थिति कैसी रहेगी, इसपर भी इसका ही नियंत्रण रहता है। कर्म और धन से शनि का सीधा सम्बन्ध होने के कारण यह हमारे जीवन में सुख या दुःख दोनों का ही कारक हो जाता है। सभी ग्रहों में शनि सम्बन्धी दशाएँ और प्रभाव ही सबसे अधिक हैं।
शनि 2 नवंबर, 2014 को अपनी मित्र और उच्च राशि तुला में लम्बे समय तक रहने के पश्चात अब अपने परम शत्रु मंगल की वृश्चिक राशि में प्रवेश कर रहा है। शनि सम्बंधित भविष्य वाणी सबसे कठिन होती है, शनि बहुत तरह से व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करता है, आपके जीवन में शनि सम्बंधित वास्तविक परिणाम आपकी कुंडली में शनि की वास्तविक स्थिति, ढैया, साढ़ेसाती, महादशा - अंतर दशा, मार्गी - वक्री, ग्रहों से युति या दृष्टि सम्बन्ध इत्यादि बहुत सी बातों पर निर्भर करता है, अतः आपसे अनुरोध है कि इसे अंतिम परिणाम ना मानें और विशेष परिस्थितियों में ज्योतिषीय परामर्श लें।
शनि सम्बंधित कुछ तथ्य:
• शनि की गति: नवग्रहों में सबसे धीमी है और यह एक राशि पर 30 महीने तक रहता है, अर्थात इतने समय तक कोई भी ग्रह किसी राशि में नहीं रहता है।
• शनि की ढैया: 2.5 वर्ष तक, ढैया का प्रभाव सिर्फ शनि ग्रह से सम्बंधित है, किसी और ग्रह से नहीं।
• शनि साढ़े साती: 7.5 वर्ष तक, यह दशा भी सिर्फ शनि से ही सम्बंधित है और बहुत अधिक प्रभावशाली है, किसी भी दूसरे ग्रह की ऐसी कोई दशा नहीं होती।
• शनि की महादशा: 19 वर्ष तक रहती है, सिर्फ शुक्र के अलावा बाकि सभी ग्रहों में सबसे लम्बी चलने वाली महादशा।
• शनि की अन्तर्दशा: यह भिन्न - भिन्न ग्रहों की दशाओं में भिन्न- भिन्न समय की होती है, परन्तु यहाँ भी यह शुक्र के बाद सबसे लम्बी होती है।
• शनि की दृष्टि: शनि अपने बैठने के स्थान से 3 स्थानों को सीधा देखता है - तीसरे, सातवें और दसवें।
सारांश यह है कि शनि यदि आपकी कुंडली में अच्छा है, तो आपका कर्म निश्चित अच्छा होगा और कर्म अच्छा होगा तो जीवन सुखी होगा।
“ शनि का दिया हुआ सुख और शनि का दिया हुआ दुःख, दोनों ही जल्दी समाप्त नहीं होते हैं “, आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि कर्मों के परिणाम स्वरूप मिले हुए सुख या दुःख जल्दी समाप्त नहीं होते हैं।
शनि गोचर का देश - काल पर प्रभाव :
शनि और मंगल में परम शत्रुता है, शनि का जब गोचर परिवर्तन हो रहा है उस समय सूर्य,चन्द्रमा और शुक्र तीनों ही राहु के नक्षत्र में हैं, मंगल केतु के नक्षत्र में है, राहु मंगल के नक्षत्र में है और स्वयं शनि मंगल की राशि और बृहस्पति के नक्षत्र में है। शनि और मंगल में द्विद्वादश योग बन रहा है और शनि पर बृहस्पति की दृष्टि है। मंगल की केतु पर सीधी दृष्टि तथा गुरु पर नीच दृष्टि है, परिणाम स्वरूप भयानक प्राकृतिक आपदाएँ जैसे भूकम्प, समुद्री तूफान, सुनामी इत्यादि घटनाएँ बड़े स्तर पर होने की सम्भावना तथा कुछ जगहों पर युद्ध या धार्मिक उन्माद के कारण भयानक रक्तपात और जन - धन हानि की सम्भावना बनेगी। पश्चिम - दक्षिण के देश - प्रदेश अधिक प्रभावित होंगे। शनि का वृश्चिक राशि में जब तक निवास रहेगा और इस दौरान जब - जब सूर्य - चन्द्रमा, मंगल - केतु इन सबका प्रभाव एक साथ आएगा, तब - तब पूरे विश्व में प्राकृतिक प्रकोप की भरमार रहेगी।
शनि गोचर का राशियों पर प्रभाव :
मेष
मंगल की राशि और मंगल के ही स्थान पर होने के कारण शनि अत्यंत उद्विग्न रहेगा। अतः, राशिफल के अनुसार मेष राशि के जातकों के लिए शनि का यह गोचर परिवर्तन स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ पैदा करने वाला होगा। साथ ही धन का आगमन तो होगा परन्तु हमेशा कमी भी रहेगी। शनि का वृश्चिक में गोचर राशिफल कह रहा है की अनावश्यक खर्चे बहुत तनाव पैदा करेंगे। संतान सम्बन्धी चिंता तथा शिक्षा - प्रतियोगिता में सफलता के लिए कठिन प्रयास करना होगा। राशिफल के अनुसार सामाजिक तथा राजनैतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों को सार्वजानिक जीवन में सफलता मिलेगी तथा मान - सम्मान में अत्यंत वृद्धि होगी।
ढैया / साढ़े साती : ढैया प्रारम्भ
वृषभ
शुक्र की राशियों में शनि प्रसन्न रहता है, इस राशि के जातकों के लिए शनि सप्तम भाव में होगा। राशिफल के अनुसार भाग्येश और दशमेश होने के कारण और भाग्य स्थान पर दृष्टि होने के कारण शनि का यहाँ आना अत्यंत शुभ फलदायक होगा। भाग्य बढ़ -चढ़कर साथ देगी अतः लगभग सभी कार्यों में सफलता मिलेगी। केवल वैवाहिक जीवन में थोड़ी कटुता आ सकती है, अतः राशिफल कह रहा है की व्यक्तिगत संबंधों के मामलों में थोड़ी सावधानी बरतें और अपने जीवन साथी के प्रति संवेदनशील रहें।
ढैया / साढ़े साती : नहीं है।
मिथुन
मिथुन राशि बुध की राशि है। राशिफल कह रहा है की बुध, शनि का मित्र है, अतः बुध की राशि में शनि सदैव प्रसन्न रहेगा। मिथुन राशि में शनि छठें भाव में होगा, जहाँ से इसकी दृष्टि अपनी ही राशि अष्टम में, शुक्र की राशि द्वादश में और सूर्य की राशि तृतीय भाव में होगी। राशिफल के अनुसार शारीरिक सुख तथा स्वास्थ्य में वृद्धि करेगा। ख्याति और पराक्रम बढ़ेगा। कर्ज़ और शत्रुओं का नाश होगा।परन्तु आपके कार्यों से पीठ पीछे आपकी निंदा भी होती रहेगी। कुछ स्वतन्त्र कार्य करने में समर्थ होंगे।
ढैया / साढ़े साती : नहीं है।
कर्क
चन्द्रमा और शनि में शत्रुता है। राशिफल के अनुसार कर्क राशि में शनि का पंचम भाव में आना जीवन साथी के लिए अच्छा होगा। वैवाहिक लोगों के लिए ससुराल पक्ष से सहयोग प्राप्त होगा। परन्तु जो लोग अपने विवाह की तैयारी कर रहे हैं अब उन्हें इंतज़ार करना पड़ेगा। स्वयं यदि किसी प्रतियोगिता में बैठ रहे हैं तो सफलता के लिए कठिन प्रयास करना पड़ेगा। राशिफल कह रहा है संतान के स्वास्थ्य या संतान सम्बन्धी समस्या परेशान कर सकती है। आर्थिक विषमताओं का भी सामना करना पड़ेगा। राशिफल कहता है की व्यापार में तो लाभ होगा परन्तु यदि उधार दिए तो उसे डूबा हुआ ही मानें।
ढैया / साढ़े साती : नहीं है।
सिंह
सिंह राशि में शनि मुख्य मारकेश है, चतुर्थ भाव में शनि के आने से पारिवारिक सुख में कमी महसूस करेंगे, पूरे समय तक शत्रु सर उठाते रहेंगे। राशिफल के अनुसार कार्य व्यापार में लाभ होगा, बाहरी संबंधों तथा विदेशी मामलों में सफलता मिलेगी। राजनैतिक तथा सामाजिक क्षेत्रों से जुड़ें लोगों के मान प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। माता के स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या उत्पन्न हो सकती है। राशिफल कहता है की नए मकान और वाहन के भी योग बनेगें। अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें विशेष कर यदि आप दिल के मरीज़ हैं तो, साथ ही व्यापार में अपने अत्यंत करीबी लोगों को भी अपनी निजी बातें ना बताएँ, धोखा हो सकता है।
ढैया / साढ़े साती : ढैया प्रारम्भ
कन्या
भाई - बहनों से समबन्ध बिगड़ सकते हैं। राशिफल के अनुसार अगर छोटा भाई है तो उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखें। प्यार या धन के मामले में कोई करीबी मित्र धोखा दे सकता है, अतः अति विश्वास ना करें। वैसे आपकी अपनी इच्छा शक्ति अत्यंत दृढ़ रहेगी, समय आने पर आप कठोर निर्णय लेने में समर्थ होंगे। वैसे शनि के इस गोचर का एक प्रभाव अवश्य रहेगा, आप अपने लोगों की चाहे कितनी भी भलाई कर लें, आपको बुराई ही मिलनी है, लोग पीठ पीछे आपकी बुराई करेंगे तथा आपको नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेंगे।राशिफल कहता है की संतान तथा शिक्षा के मामले में सफलता तथा व्यय की अधिकता रहेगी।
ढैया / साढ़े साती : साढ़े साती समाप्त।
तुला
राशिफल के मुताबिक तुला राशि वालों के लिए शनि का गोचर परिवर्तन शत्रु राशि में होते हुए भी सुखद होगा। नए मकान तथा वाहन का सुख मिलेगा। पारिवारिक और वैवाहिक जीवन में सुख की वृद्धि। पद और प्रतिष्ठा बढ़ेगी, नौकरी में प्रमोशन का योग बनेगा। संतान की इच्छा रखने वालों की इच्छा शनि अब पूरी करेंगे।रोग समाप्त होगा, शत्रु परास्त होंगे।कुल मिलाकर यदि दशा - अंतर दशा अच्छी है तो समय अच्छा जायेगा।
ढैया / साढ़े साती : साढ़े साती का अंतिम दौर प्रारम्भ होगा।
वृश्चिक
वृश्चिक राशि वालों के लिए इसे विलम्बकारी समय कहना उचित होगा। कोई भी कार्य और सफलता बिना संघर्ष या कड़ी मेहनत के बगैर नहीं मिलेगी, अतः धैर्य बनाये रखें। हाँ, इतना अवश्य है कि लम्बे प्रयास के बाद सफलता मिलेगी ज़रूर। राशिफल के अनुसार राजनेतओं के लिए जिनका शनि जन्म के समय भी ठीक हो और वर्तमान दशा भी ठीक हो तो अच्छी सफलता दिलाएगा यह गोचर परिवर्तन। पत्नी या प्रेमिका से थोड़ा तनाव रहेगा, पारिवारिक सुख में कमी तथा अनिद्रा की समस्या भी परेशान करेगी। घर से दूर जाना पड़ सकता है। नौकरी या व्यापार में स्थान परिवर्तन का योग भी बनेगा । पेट सम्बन्धी परेशानियाँ पैदा होंगी जिसके कारण स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा। कभी - कभी आलस्य भी परेशान करेगा, फिर भी दृढ़ता बनी रहेगी और निरन्तर कर्मशील रहेंगे।
ढैया / साढ़े साती : साढ़े साती का मध्य दौर प्रारम्भ होगा।
धनु
राशिफल कह रहा है की इस राशि के जातकों के लिए यह परिवर्तन परेशानियाँ पैदा करने वाला होगा। व्यर्थ का भ्रमण होगा या यात्रायें सफल नहीं होंगी। खर्च नियंत्रण से बाहर हो सकता है, अतः सावधानी आवश्यक है। आय में कमी होगी। व्यापार या नौकरी में परिस्थिति वश परिवर्तन करना पड़ सकता है। शत्रु परेशान कर सकते हैं, विश्वसनीय लोगों से थोड़ी सावधानी बरतने का समय है। पारिवारिक जीवन में भी थोड़ा तनाव उभर सकता है। धन सोच समझकर खर्च करें, विशेष कर भूमि खरीदते समय अत्यंत सावधानी बरतें। कुल मिलाकर यह समय धैर्य से चलने और क्रोध तथा आवेग पर नियंत्रण रखने का होगा।
ढैया / साढ़े साती : साढ़े साती का प्रथम दौर प्रारम्भ होगा।
मकर
मकर राशि वालों के लिए लग्नेश - लाभेश शनि का आय स्थान में आना अत्यंत शुभ है। आपके द्वारा किया हुआ कोई भी परिश्रम व्यर्थ नहीं जायेगा। राशिफल के अनुसार यदि जन्म समय शनि अच्छा है और वर्तमान में शनि की ही दशा या अंतर हो तो बहुत अधिक अर्थात आपकी सोच से अधिक धन प्राप्त होगा। आय के स्रोत बढ़ेंगे। शिक्षा - प्रतियोगिता में सफलता मिलेगी। शत्रु बनेंगे परन्तु टिक नहीं पाएंगे।यात्राएँ सुखद होंगी। कुल मिलाकर बेहतर समय है, परन्तु एक नकारात्मक पक्ष भी होगा इस समय और वह यह कि आप सुख के समय में अत्यधिक स्वार्थी हो सकते हैं और अपने स्वार्थ में किसी दूसरे को हानि पहुंचा सकते है। ऐसी स्थिति से आपको बचना चाहिए क्योंकि हमेशा स्थितियां अनुकूल नहीं होती हैं।
ढैया / साढ़े साती : नहीं है।
कुम्भ
कुम्भ राशि के वे जातक जो किसी भी प्रकार विदेशी कार्यों से जुड़ें हैं उन्हें अद्भुत सफलता मिलेगी। राशिफल के अनुसार धार्मिक और सामाजिक कार्यों में धन खर्च होगा। सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों को सफलता मिलेगी।परन्तु पारिवारिक जीवन में परेशानियां पैदा होंगी। जीवन साथी से मतभेद उत्पन्न हो सकता है। माता के स्वास्थ्य की समस्या उत्पन्न हो सकती है।पिता से वैचारिक मतभेद उत्पन्न होंगे। नए वाहन या भूमि - भवन में निवेश के लिए अच्छा समय नहीं है। जो लोग विवाह करने को सोच रहे हैं उनके लिए उपयुक्त समय नहीं है।
ढैया / साढ़े साती : नहीं है ।
मीन
अपने गुरु और मित्रों से द्वेष तथा बैर उत्पन्न हो सकता है, अतः सावधानी बरतें। राशिफल के अनुसार धार्मिक और सामाजिक कार्यों में रूचि बढ़ेगी। व्यापार में सफलता मिलेगी, आय के स्रोत बढ़ेंगे। धन और व्यापार के मामले में अच्छा समय है, जहाँ हाथ डालेंगे वहीं सफलता मिलेगी, परन्तु पिता से बहुत विवाद हो सकता है। अपने क्रोध और ज़िद को नियंत्रण में रखें। धार्मिक यात्राएँ होने की प्रबल सम्भावना है। राशिफल के अनुसार शत्रु परास्त तो होंगे परन्तु बनते भी रहेंगे। विपरीत लिंग के व्यक्तियों से रिश्ते बनाने में सावधानी बरते अन्यथा बदनामी मिल सकती या धोखा खा सकते हैं।
ढैया / साढ़े साती : ढैया समाप्त।
शनि के उपाय :
शनि सम्बन्धी परेशानियों से बचने के लिए निम्नलिखित में से कोई 3 उपाय करें -
• शनि चालीसा का नियमित पाठ करें।
• हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें।
• शनि सम्बंधित दान - काला कपड़ा, साबुत उड़द, स्टील के बर्तन, सरसों का तेल, गुड़ इत्यादि अपनी सामर्थ्य अनुसार लगातार 16 शनिवार तक सायं काल गरीबों को दान करें।
• केवल शनि के कारण स्वास्थ्य की अधिक समस्या हो तो शनि मृत्युंजय का पाठ करें।
• शनि कवच का नियमित पाठ करें।
• भगवान शिव की नियमित आराधना करें और सायंकाल कपूर का दीप दिखाएँ।
• व्यसन का त्याग दें।
• आचरण ठीक रखें।

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