Monday 25 August 2014

यह असंभव है

अगर एक गांव में एक आदमी भी है, जो जानता है कि आत्मा अमर है, उस गांव का पूरा वातावरण, उस गांव की पूरी की पूरी हवा, उस गांव की पूरी की पूरी जिंदगी बदल जाएगी। एक छोटा-सा फूल खिलता है, और दूर-दूर के रास्तों पर उसकी सुगंध फैल जाती है। एक आदमी भी अगर इस बात को जानता है कि आत्मा अमर है, तो उस एक आदमी का एक गांव में होना पूरे गांव की आत्मा की शुद्धि का कारण बन सकता है।
लेकिन हमारे मुल्क में कितने साधु हैं और कितने चिल्लाने और शोरगुल करने वाले हैं कि आत्मा अमर है। और इनकी इतनी लंबी कतार, इतनी भीड़, और मुल्क का यह नैतिक चरित्र और मुल्क का यह पतन! यह सबूत करता है कि यह सब धोखेबाज धंधा है। यहां कहीं कोई आत्मा-वात्मा को जानने वाला नहीं है। यह इतनी भीड़, इतनी कतार, यह इतनी मिलिटरी और इतना बड़ा सर्कस साधुओं का सारे मुल्क में--कोई मुंह पर पट्टी बांधे हुए एक तरह का सर्कस कर रहे हैं, कोई डंडा लिए दूसरे तरह का सर्कस कर रहे हैं, कोई तीसरे तरह का सर्कस कर रहे हैं--यह इतनी बड़ी भीड़ आत्मा को जानने वाले लोगों की हो और मुल्क का जीवन इतना नीचे गिरता चला जाए, यह असंभव है।

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