Wednesday 6 August 2014

आरती श्री अम्बा जी

आरती श्री अम्बा जी...

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
जय अम्बे गौरी ॥
माँग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्जवल से दो‌उ नैना, चन्द्रवदन नीको ॥
जय अम्बे गौरी ॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै ॥
जय अम्बे गौरी ॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
जय अम्बे गौरी ॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति ॥
जय अम्बे गौरी ॥
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती ॥
जय अम्बे गौरी ॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे ॥
जय अम्बे गौरी ॥
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी ।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
जय अम्बे गौरी ॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु ॥
जय अम्बे गौरी ॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्‍तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता ॥
जय अम्बे गौरी ॥
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर-नारी ॥
जय अम्बे गौरी ॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति ॥
जय अम्बे गौरी ॥
श्री अम्बेजी की आरती, जो को‌ई नर गावै ।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै ॥
जय अम्बे गौरी ॥

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