Monday 4 August 2014

पूर्णं सफलता प्राप्त हो जाती है।

ध्यान की अवस्था में टेलिपैथी
जब साधक का मन एकाग्रचिŸा होने लगे तब टेलीपैथी का प्रयोग प्रारंभ करना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले अपने गुरू या इष्ट से प्रत्यक्ष अथवा ध्यानावस्था में मानसिक अनुमति ले कर प्रयोग करना चाहिए।
सर्वप्रथम अपने इष्ट या गुरू की प्रतिमा अथवा चित्र को अपने पूजा स्थान में इस प्रकार रखें ताकि वह आँखों के ठीक सीध में तथा ढाई फीट की दुरी में रहे। फिर उसपर अलपक दृष्टि से देखने का प्रयास करें। इस प्रक्रिया को त्राटक कहा जाता है। त्राटक का अभ्यास किसी बिंदु, शक्ति चक्र, क्रिसटल बाल, दीपक की लौ, चंद्रमा, तारा अथवा सुर्य पर बारी-बारी से अभ्यास किया जाता है। जिसके द्वारा साधक के आँखों में अद्भुत सम्मोहन शक्ति आने लगती है, तथा साधक को सम्मोहन के क्षेत्र में पूर्णं सफलता प्राप्त हो जाती है।
परंतु टेलिपैथी के लिए अपने इष्ट अथवा गुरू के चित्र पर त्राटक का अभ्यास करना चाहिए। प्रारंभ में त्राटक का अभ्यास करने पर ज्यादा देर तक अपलक टकटकी लगाकर देख पाना संभव नही इसलिए धीर
धीरे प्रयास करते हुए समय को बढ़ाते जाएं। 
जब आँखों में आंसु आने लगे तब कुछ देर के लिए आंखों को विश्राम दें तथा आंखों पर ठन्डे पानी का छिटा मारें फिर अभ्यास करें इस तरह जब 10-15 मिनट का अभ्यास होने लगे तब उस तस्वीर में आपको अजीब सा नीला प्रकाश निकलता हुआ दिखाई देगा जिसकी रोशनी आखों में समाहित होती हुई नजर आएगी। जब इस तरह के दृष्य नजर आने लगें तब समझ लीजिए कि आप सफलता के काफी करीब हैं। फिर अपनी आँखों को बंद कर लें ऐसा करने के बाद भी आपको वह चित्र दिखाई देती रहेगी।
अब आप उस चित्र के मस्तिष्क में अपना ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें। ऐसा करते ही आपको अहसास होगा कि आप अपने गुरू के मानसिक तरंगों को भलीभांति देख पा रहे हैं, तथा उनसे वार्तालाप करने का प्रयास करने लगे हैं।
जब अपने गुरू या इष्ट से किसी प्रकार के प्रश्नों का उत्तर प्राप्त होने लगे तब किसी भी व्यक्ति के चित्र पर त्राटक करते हुए अपनी आँखों को बंद कर उसका प्रतिबिम्ब अपने आँखों मे उतार लंे फिर ध्यान करते हुए उसके मस्तिष्क में उठने वाली तरंगों को पकड़ने का प्रयास करें इस तरह धीरे-धीरे आप लोगों के मस्तिष्क के तंरंगों को अपने मस्तिष्क के तरंगों से जोड़ने में सक्षम हो पायेंगे। जब आप मन के तरंगों को पकड़ने में अभ्यस्त हो जाएंगे तब आपको किसी भी व्यक्ति का चित्र अथवा मूति की आवस्यकता नही पड़ेगी। आप स्वतंत्र रूप से किसी भी व्यक्ति के मन के तरंगों को पढ़ पाने में सक्षम हो जायेंगे चाहे वह मनुष्य आपके पास हो अथवा कितना भी दुर हो।

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