Friday, 10 October 2014

ये दुनिया एक मायाजाल है

एक
कहानी है-'आदमी को कितनी जमीन
चाहिए.?' उन्होनें
कहा कि आदमी ज्यादा-से-ज्यादा जमीन
पाने के लिए कोशिश करता है, उसके लिए
हैरान होता है, भाग-दौड़ करता है, पर
आखिर में कितनी जमीन उसके काम आती है?
कुल छ:फुट, जिसमें वह हमेशा के लिए
सो जाता है।
आदमी की इच्छाऍं, कभी पूरी नही होतीं।
जैसे-जैसे आदमी उनका गुलाम
बनता जाता है, वे और बढ़ती जाती हैं।
उसके लिए वह आपाधापी करता है
भटकता है, पर अन्त में उसके साथ कुछ
भी नहीं जाता।
यही बात तो हमारे संत कहते आये है। ये
दुनिया एक मायाजाल है और
लक्ष्मी तो चंचला है आज इसके पास तो कल
दूसरे के पास फिर ये सब मोह क्यों ??//
सही तो है पूरी दुनिया को जितने
का दावा करने वाला सिकंदर अपने साथ
क्या ले गया
आया था यहॉँ सिकन्दर, दुनिया से ले
गया क्या?
थे दोनों हाथ खाली, बाहर कफ़न से निकले।
एक फ़कीर ने कहा है "ए इंसान, दौलत
की ख्वाहिश न कर। सोने में गम
का सामान है, उसकी मौजूदगी में मुहुब्बत
खुदगर्ज और ठंडी हो जाती है। घमंड ओर
दिखावे का बुखार चढ़ जाता है।"
तो फिर नैतिकता से सही मार्ग से धन
को अर्जित करे और उसका कुछ अंश अच्छे
कार्य में लगा दे
तो कितना अच्छा हो इसमें
ही तो सच्चा आनंद है। ....

No comments:

Post a Comment