Saturday 11 October 2014

मनुष्य का ईश्वर की ओर झुकाव होता है।

मनुष्य पर जब सत का प्रभाव होता है तब शरीर में हल्कापन सुख शांति एवं निष्क्रियता उत्पन्न करता है तथा मनुष्य का ईश्वर की ओर झुकाव होता है। जब रजस् प्रधान होता है तब सत् और तम् को दबाकर दुखः वृत्ति को उत्पन्न करता है जिससे मनुष्य की जड वस्तुओं के प्रति आसक्ति बढती है एवं वह उन्हें प्राप्त कर दुखः निवृत्ति एवं सुख प्राप्ति हेतु प्रयास करता है परंतु जड वस्तु स्वयं दुख का कारण होती है जैसे ही वह एक वस्तु को प्राप्त करता है यह अपने साथ अन्य दुखों को ले आती है एवं मनुष्य उस वस्तु से प्राप्त दुखों की निवृत्ति के लिए प्रयास करने लगता है इसी प्रकार जीवन की दौड बढती जाती है और अंत में वह सुख प्राप्ति के लक्ष्य को पूर्ण किए बिना ही मृत्यु को प्राप्त होता है।मनुष्य पर जब तम् का प्रभाव होता है तब शरीर में निष्क्रियता भारीपन आलस्य निद्रा एवं घोर मोह वृत्ति को उत्पन्न करता है जिससे मनुष्य की सुख प्राप्ति की लालसा बढती है परंतु वह उसे प्राप्त करने के लिए प्रयास नहीं करता एवं अपनी स्थिति के लिए भाग्य को ईश्वर को अन्य व्यक्ति को या संबंधियों को दोषी मानता है एवं घोर दुखः का अनुभव करता है।

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