Friday 17 October 2014

आँखों से देख पाना संभव नही

पूर्नजन्म, भुत-प्रेत आत्मा यह सब वैज्ञानिकों के लिए विवादास्पद विषय हैं, क्योंकि वैज्ञानिक प्रत्येक बात को विज्ञान की कसौटी पर कसने का प्रयास करते हैं, परंतु कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जिसे विज्ञान की कसौटी पर कसा नही जा सकता। ऐसे ही रहस्यमई विषयों को आध्यात्म के भाषा में अलौकिक तथा पारलौकिक कहा जाता है। 
भगवान श्रीकृष्ण ने गिता में स्पष्ट रूप से कहा है कि आत्मा न कभी मरती है न हि कभी जन्म लेती है, और यथार्थ भी यही है मृत्यु के बाद भी आत्मा का अस्तित्व शेष रह जाता है और और समय आने पर उसे पुर्नजन्म लेना पड़ता है।
वैज्ञानिक व्यक्ति हो अथवा आध्यात्मिक परंतु एक बात से तो कोई भी इन्कार नही कर सकता कि शरीर में कोई ऐसी चीज तो जरूर होती है जिसके कारण प्राणी जीवित रहता है, तथा उसके शरीर से निकलते ही मृत्यु हो जाती है। उसी तत्व को 
आध्यात्म की भाषा में आत्मा के नाम संबोधित किया गया है।
और अगर आत्मा जैसी कोई चीज है तो शरीर से निकलने के बाद भी उसका अस्तित्व होता ही होगा, चाहे हम उसे अपनी नंगी आखों से देख पायें अथवा नही। 
इस बात को तो वैज्ञानिक भी मानते हैं कि कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं जिसे आँखों से देख पाना संभव नही जैसे-हवा, खुशबु, बदबु इत्यादि चीजें दिखाई नही देते मगर इनके होने का एहसास हमारी इन्द्रियों के द्वारा किया जा सकता है।
परंतु कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं जो न तो दिखाई देती हैं न हि उनका एहसास होता है जैसे-रेडियो प्रसारण तरंगें, दुरदर्शन तरंगें, मोबाइल की तरंगें। यह सभी तरंगें वैज्ञानिक उपकरणों के द्वारा उत्पन्न किये जाते हैं और इन्हें पकड़ने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा निर्मित इलेक्ट्राॅनिक उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है।
ठीक इसी प्रकार आत्मा की कल्पना की जा सकती है, जो मृत्यु के पश्चात वायु मंडल में इलेक्ट्राॅनिक तरंगों की भांति स्वतंत्र रूप से विचरण करती है तथा पुनः किसी शरीर में प्रवेश कर अपने अस्तित्व का एहसास कराती है।
पश्चिमी देशों के वैज्ञानिकों ने भी आत्माओं के अस्तित्व को स्वीकारा है तथा पुर्वजन्म, पुर्नजन्म, आत्मा, भुत-प्रेत इत्यादि विषयों पर अनेकांे शोध एव खोज किए जा रहे हैं।
अब तक सैकड़ो लोगों ने अपने पुर्नजन्म में होने का प्रमाण दिया है, अनेक लोगों ने अपने पुर्वजन्म मे घटी हुई घटनाओं को स्पस्ट रूप से और पुरे प्रमाणिकता के साथ बताकर यह सिद्ध कर दिया कि वास्तव में ही यह उनका पुर्नजन्म है। 
साथ ही पुर्वजन्म के माँ-बाप,भाई,बहनों,सगे, 
सम्बधी, सभी के नाम बताकर तथा उन सभी को पहचान कर सबको हैरत में डाल चुके हैं। उनके बताये अनुसार अनेकों डाॅक्टरों तथा वैज्ञानिकों ने भी निरिक्षण किया जिससे पूर्वजन्म की घटनाएं सत्य एवं प्रमाणित साबित हो चुकी हैं। 
कई घटनाएं तो डाॅक्टरों तथा वैज्ञानिकों को भी हैरत में डाल देती हैं, जब किसी व्यक्ति को डाक्टरों द्वारा मृत घोषित कर दिया जाता है और कुछ ही देर बाद जब वह जीवित हो उठता है तब डाॅक्टर, वैज्ञानिक सभी आवाक रह जाते हैं। पुर्नजीवित होने की ऐसी भी घटनाएं अनेकों बार घट चुकी हैं।

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