Friday 11 July 2014

हौसला नहीं होता

लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलानें में।
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुँजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जायें तो शर्मिन्दा न हों ।
परखना मत, परखने में कोई अपना नहीं रहता
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता
बडे लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
जहां दरिया समन्दर में मिले, दरिया नहीं रहता
जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे हज़ारों तरफ़ से निशाने लगे
हुई शाम यादों के इक गाँव में परिंदे उदासी के आने लगे
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
जी बहुत चाहता है सच बोलें, क्या करें हौसला नहीं होता।

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