Friday 11 July 2014

इस दुख क काऱण को नही खौजना चाहते

पृथ्वी का प्रत्येक मनुष्य दुखी है और उनके दुख का कारण है , पृथ्वि से मनुष्यता का सामाप्त हो जाना? 
ऐसा नहीं है कि विचारको ने, चिंतको ने और अन्य सामाजिक व्यक्तियों ने इस और कोइ प्रयत्न नही किया ? किसे ने इस दुख के कारण को सामाजिक परिवर्तन बताया तो कुछ ने इसके कारण को वजह को आधुनिकता की उपज कहा , वही सामाज के अग्रणी और धर्म के ठेकेदार तथा तथा कथित सामाजसुधारक इस दुख का कारण संस्कार हीनता को मांनते है वही जिन्हे इनमें रस नही था तथा कुछ अलग का कारण बताना जिनके जीवन का उद्देश्य है उन्होने राजनीतिक भ्रष्टता को ही सँसार के दुःख का कारण बता दिया? लेकिन इसके भी आगे भारतीयों और उनमे भी हिन्दूओं ने अपनी राय से संसार को इसका काऱण कलियुग को माना !
संसार कारण के बारे में चाहे कुछ भी कहे और किसी को भी दुख का कारण कहे लेकिन मनुष्य जाति का रवैया इस सम्बन्ध मे उदासीन है, ऐसा नही है कि मनुष्य जाति इस बदले हुये रवैये से खुश है या संसार मे एक मनुष्य दूसरे मनुष्य के साथ मनुष्यता पूर्ण व प्रेम पुर्ण व्यवहार करता है व किसी को भी इससें कोइ परेशानी नही है ? या कोई भी इससे निजात नही पाना चाह्ता ? हालाकि यह बात अलग है कि कोई मनुष्य अधिक दुखी है और कोइ कम दूखी है लेकिन दूखी सभी है, कुछ ऐसे भी है जिन्होने इस दुख को नियति मान लिया है और वे कारण भीं पर्व जन्म को हीं मानते है? जो ज्यादा चालाक और राजनीतिज्ञ है वे इस दुख क काऱण को नही खौजना चाहते , क्योंकि उन्हे शंका है कि यदि इसका वास्तविक काऱण का ज्ञान आम आदमी को हो गया तो वह भी अपनी नस्ल का सुधार कर लेगा ? फिर गुलाम कहा से आयेँगे ?
कारण चाहे कुछ भी हो लेकिन इस दोष की जिम्मेदारी मनुष्यो को ही लैनी होंगी? दुःख का कारण उपरोक्त मे से कोइ भी या फ़िर आधुनिकता के कारण ही उत्पन्न हीं क्यो न हुआ हो लेकिन यह सत्य है कि इस दुख का जनक सिर्फ़ मनुष्य ही है! क्योकि 
१- मनुष्य के अतिरिक्त अन्य कोई भी जीव बलात्कार नहीं करता ? 
२-मनुष्य के अतिरिक़्त अन्य कोई भी जीव चोरी - डकैती , भेद -भाव , उंच नीचता क असामान्य व्यवहार व लूटमार या धोखाधडी आदि नहीं करता?
३-मनुष्य के अतिरिक़्त अन्य कोई भी जीव जीवनयापन के अतिरिक़्त दुसरी जीव की ह्त्या नही करते ?
४- मनुष्य के अतिरिक़्त अन्य कोई भी जीव निरउद्देश्य अहंकार के वशीभूत दूसरे जीवो के साथ हिंसात्मक पूर्ण कृत्य नही करता ?
५-मनुष्य के अतिरिक़्त अन्य कोई भी जीव जीविका पार्जन हेतु भ्रष्ट आचरण नहीं करता ? 
६- मनुष्य के अतिरिक़्त अन्य कोई भी जीव परमात्मा पर अविश्वास करते हुये भौतिक संसाधनों का संग्रहण नही करते ?

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