Thursday 24 July 2014

हम वास्तव में उनसे प्रेम करें

जब भी आप रात मे सोने के लिए जाये तब मन ही-मन ईश्वर को याद करें और जो भी बात आपके मन में हो, उसे अपनी आत्मा की आवाज में उनसे प्रेम पूर्वक कह डालें। इससे हमारा ईश्वर के साथ सीधा वार्तालाप करने का मार्ग खुल जाता है।

ईश्वर तो पहले से ही जानते हैं, लेकिन उनके सामने प्रेम से हृदय खोल देने से हम स्वयं को उनके प्रति ग्रहणशील बनाते हैं। कभी ऐसा भी प्रतीत होता है कि दिन और महीने गुजरते जा रहे हैं और ईश्वर हमें हमारे प्रेम का कोई प्रत्युत्तर नहीं दे रहे हैं, तब भी हम निराश न हों।

हम हार मान लेते हैं और कहने लगते हैं कि अरे, क्या फायदा है, ईश्वर हमारी सुनते ही नहीं। वास्तव में ईश्वर हमारी हर बात सुनता हैं और समय आने पर वह हमारी सहायता भी करता करता है।

हम जीवन के किसी भी चरण में निराशा या हार को स्वीकार न करके अपनी प्रेमपूर्वक ईश्वर की साधना को हर हाल में जारी रखें। जब कभी हमारे हृदय में प्रेम का आनंद प्राप्त नहीं हो पाता है तब भी हमें यही सोचना चाहिए कि कोई बात नहीं है प्रभु, मैं हार नहीं मानने वाला हूं।

मैं आप से प्रेम करना नहीं छोड़ूंगा। क्योंकि जिस ईश्वर से हम प्रेम करते हैं वह हमारे मौन का या कभी-कभार कहे गए कठोर शब्दों का गलत अर्थ निकालकर हमसे मुंह नहीं मोड़ेगा। कारण कि हम ईश्वर के प्रेम भरे सांचे में ढाले गए हैं। हम वास्तव में उनसे प्रेम करें।

No comments:

Post a Comment