Tuesday 29 July 2014

प्रभु चरणों की करके सेवा

जय श्री शिव शक्ति जी की जी ---(शिव निन्दा सुनना,करना सबसे बड़ा पाप है )
सबसे पहले प्रभु श्री शिव शक्ति जी के चरणों में इस दास का कोटि कोटि प्रणाम है ! आज हम इस विचार के माध्यम से सिर्फ ये ही कहना चाहेंगे आपसे की श्री शिव महापुराण और लिंग पुराण में एक बात बार बार बताई गई है की अगर कोई आपके सामने श्री शिव शक्ति की निंदा कर रहा है या करने की कोशिश करता है तो सबसे पहले आपका फ़र्ज़ है की उस इंसान को ऐसा करने से रोकिये,अगर वो नहीं रुकता है तो अपने कानों को बंद करके वहां से उठकर चले जाइये ,या फिर आप उसके प्राण ले लीजिये या फिर अपने प्राणों को समाप्त कर दीजिये ,क्योँकि शिव निंदा सुनना,करना और किसी दूसरे को सुनना ये बहुत बड़ा और घोर पाप माना गया है ,अगर कोई ऐसा कर रहा है तो आप उसके सामने से उठकर ये सोचकर चले जाइये की ये खुद तो नरक का द्वार अपने लिए खोल रहा है और आपको भी अपने साथ ले जाएगा,आपका कोई भले ही कितना करीबी मित्र हो किन्तु अगर वो शिव निंदा करे तो उसे समझकर देखिये ना माने तो खुद उठकर चले जाइये,आपने ये देखा या सुना या पढ़ा होगा की भगवान ब्रह्मा जी के पंच मस्तक थे पहले और अब चार हैं कारण ये था की भगवान ब्रह्मा जी का पांचवां मस्तक हमेशा शिव निन्दा करता रहता था जिसके फल सवरूप प्रभु श्री शिव ने कालभैरव को ये कहा था की ब्रह्मा हर समय मेरी निन्दा करता रहता है इसलिए तुम्हे उसे सबक सीखना पड़ेगा और तुम्हारी नज़रों में जो उचित हो उसे उसके कर्मों का वो फल दे देना फिर जब कालभैरव जी ने ब्रह्मा के पास पहुंचे और ये देखा की इनका पांचवां मस्तक ही हर समय शिव निन्दा करता रहता है इसलिए मैं इनके पांचवें मस्तक को ही काट डालूँगा ये विचार करके उन्होंने ब्रह्मा जी के पांचवें मस्तक को काट डाला था और वो मस्तक जहाँ गिरा था उस जगह का नाम कपालमोचन पड़ गया था.
जय शिव भोले बम बम भोले जो भी जाता जाएगा 
प्रभु चरणों की करके सेवा भवसागर से वो तर जाएगा !!
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय 

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