Thursday 17 July 2014

वहां शांति बनाए रखना चाहिए

अक्सर परिजनों को कई मौकों पर घर के बड़े-बुजुर्गों से परिवार के अशांत माहौल या व्यक्तिगत जीवन को सुकूनभरा बनाने के लिए मन या घर को मंदिर बनाने की नसीहत मिलती है। क्या कभी आपने भी इन बातों पर गौर किया है कि आखिर घर या मन को मंदिर से जोड़ने के पीछे असल भावना क्या होती है। 

दरअसल, इसमें मंदिर से जुड़ी उस खास खूबी की ओर संकेत भी होता है जो मानसिक तौर पर सुखी रहने के लिए बेहद जरूरी है। मन व घर के लिए अहम यह बात है– शांति। शांति की ही बात करें तो यह देवता व मंदिर की मर्यादा बनाए रखने के अलावा कुछ खास वजहों से भी जरूरी मानी गई है। 

आखिर मंदिर जाएं तो क्यों वहां शांति बनाए रखना चाहिए, जानिए इसकी कुछ खास वजहें– 

- शास्त्रों में बताया गया है कि प्रकृति तीन गुणों से बनी है। ये तीन गुण हैं- सत या सात्विक गुण, रज या रजोगुणी व तम या तमोगुणी। देवता सत्त्व गुणों के प्रतीक हैं। इसलिए माना जाता है कि मंदिर की देव मूर्तियों से भी सात्विक ऊर्जा निकल चारों और फैलती हैं। किंतु पूजा, कीर्तन या आरती को छोड़ दूसरी तरह की अनावश्यक बातों या अपशब्दों से निकलने वाली रजोगुणी व तमोगुणी ऊर्जा इसमें रुकावट बनती हैं। इससे भक्त व श्रद्धालुओं को देवीय ऊर्जा का पूरा लाभ नहीं मिल पाता। 

- मन की शांति के लिए जरूरी है– एकाग्रता, जो मंदिर में शांति बनाए रखने से ही मुमकिन है।

- शोरगुल से पैदा किसी भी रूप में कलह देवालय की पवित्रता व चैतन्यता भी कम करता है।

No comments:

Post a Comment