Tuesday 22 July 2014

सुन्दर सुभग शरीर

पलटू नर तन पाइ कै, मूरख भजै न राम l
कोऊ ना सँग जायगा, सुत दारा धन धाम ll
बैद धनंतर मरि गया, पलटू अमर न कोय l
सुर नर मुनि जोगी जती, सबै काल बस होय ll
पलटू नर तन पाई कै, भजै नहीं करतार l
जमपुर बाँधे जाहुगे, कहौं पुकार पुकार ll
पलटू नर तन जातु है, सुन्दर सुभग शरीर l
सेवा कीजै साध की, भजि लीजै रघुबीर ll
दिना चार का जीवना, का तुम करौ गुमान l
पलटू मिलिहैं खाक में, घोड़ा बाज निसान ll
पलटू हरि जस गाई ले, यही तुम्हारे साथ l
बहता पानी जातु है, धोऊ सिताबी हाथ ll
राम नाम जेहि मुखन तें, पलटू होय प्रकास l
तिन के पद बंदन करौं, वोह साहिब मैं दास ll
तन मन धन जिन राम पर, कै दीन्हों बकसीस l
पलटू तिन के चरन पर, मैं अरपत हौं सीस ll
राम नाम जेहिं उच्चरै, तेहिं मुख देहूँ कपूर l
पलटू तिन के नफर की, पनहीं का मैं धूर ll
मनसा बाचा कर्मना, जिन के है बिस्वास l
पलटू हरि पर रहत हैं, तिन्ह के पलटू दास ll
पलटू संसय छूटिगे, मिलिया पूरा यार l
मगन आपने ख्याल में, भाड़ पडै संसार ll
अस्तुति निंदा कोउ करै, लगै न तेहि के साथ l
पलटू ऐसे दास के, सब कोई नावै माथ ll
आठ पहर लागी रहै, भजन-तेल की धार l
पलटू ऐसे दास को, कोउ न पावै पार ll

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