Wednesday 30 April 2014

भूख काली कुतिया है, जो भजन-सुमिरण में विघ्न डालती है। अतः उसे टुकड़ा डालो और भजन करो।
शरीर के भरण-पोषण के लिए अर्थोपार्जन चाहिए। शरीर के रक्षार्थ वह भी करो, लेकिन वही जीवन का लक्ष्य नहीं बना लो। उसे ही जीवन का सब कुछ मत समझ लो। पेट पालने के लिए मनुष्य का तन लेकर दुनिया में तुम नहीं आए। अगर पेट पालना ही कर्तव्य होता तो इतनी विकसित बुद्धि भगवान क्यों देते? मनुष्य क्यों बनाते? घोड़ा, गधा, गाय क्यों नहीं बना देते? इसका मतलब है कि तुम्हारा कर्तव्य केवल पेट भरने तक नहीं है। तुम इस अवसर को चुको नहीं। परमात्मा की पुकार को सुनो। 
परमात्मा ने तुम्हारे हृदयद्वार में जो दस्तक दी है, इस आवाज पर विश्वास करो और जानो कि परमात्मा आपसे प्यार करते हैं और आपको अपनाना चाहते हैं। वे आपलोगों से आग्रह करते हैं कि आप भी परमात्मा को अपना लो। आप परमात्मा को अपना लोगे तो सफल, शांत और लक्ष्य को प्राप्त करके मस्त-मग्न हो जाओगे

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