Tuesday 29 April 2014

आप इन्हीं में गहरे प्रवेश करें

भारतीय दर्शनों में एक दर्शन अद्भुत है- वह है रहस्यमय तंत्र मार्ग। इस तंत्र की शुरुआत ही प्रेमसे होती है- शिव और पार्वती के अंतरंग संवाद के रूप में।तंत्र के सभी ग्रंथ शिव और देवी के बीच संवाद हैं। देवी पूछती हैं और शिव जवाब देते हैं प्रेम की गहराई में हर प्रेमी को यही लगता हैकि अपने प्रिय के साथ बिल्कुल एकाकार हो जाए, कोई दूरी न रहे।अनुभूति की इस गहनता में पार्वती पूछती हैं, हे शिव! मैं आपको कैसे पाऊं? आप इतने विराट, अमूर्त, अगम्य हैं -आप तक पहुंचने का क्या उपाय है? 
शिव देवी को समझाते हैं कि आप मेरा जो बाह्य रूप देख रही हैं, वह मैं नहीं हूं। न तो मैं कोई वर्ण हूं, न नाद हूं, न शब्द हूं -मैं हूं वह शून्य फैलाव जो इस सृष्टि को घेरे हुए है। और मुझे खोजने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है। जो दैनंदिन अनुभूतियां हैं -शब्द, स्पर्श, रूप,रस, गंध की, आप इन्हीं में गहरे प्रवेश करें और आप मुझे पा लेंगी।इंद्रियों का निषेध नहीं, उन को स्वीकार करके, क्योंकि प्रत्येक इंद्रि द्वार है आत्मा का।
इसके बाद शिव एक-एक इंद्रिय की अनुभूति को लेकर उसी को ध्यान की विधि में परिवर्तित करने का गुर बताते चले जाते हैं। जैसे, यदि आपका प्रियजन दीर्घकाल के बाद मिल रहा है और उसे देखकर आपको जो आनंद होता है,उस आनंद पर ध्यान करें, मित्र पर नहीं। क्योंकि जिसे आनंद हो रहा है
वह आपके भीतर है।
यदि आप सौंदर्य देख कर तरंगायित होते हैं तो शुभ है। उस सुंदरता को देखने और उसका रसास्वादन करने वाली आंखों द्वारा ध्यान करने की विधियां हैं, जो आपको तीसरी आंख कीअनुभूति करा देंगी। मृत्यु से डर लगता है? कोई हर्ज नहीं, जहां-जहां मृत्यु है, उस पर ध्यान करिए और आप उनके पीछे छिपे हुए अमर्त्य को देख लेंगी।
इस तरह शिव सांसारिक जीवन के एक-एकअनुभव को लेकर उसमें गहरे प्रवेश करने की विधियां बताते हैं।विज्ञान भैरव तंत्र में इस तरह कुल एक सौ बारह विधियां बताई गई हैं,जिन्हें पढ़ कर आश्चर्य होता है कि कितनी सुगमता से हम परम को पा सकते हैं।तंत्र शब्द का अर्थ ही है विधि, उपाय, मार्ग। तंत्र का अर्थ विधि है। इसलिए यह एक विज्ञान ग्रंथ है। विज्ञान 'क्यों' की नहीं, 'कैसे' की फिक्र करता है। दर्शन और विज्ञान में यही बुनियादी भेद है। दर्शन पूछता है: यह अस्तित्व क्यों है? विज्ञान पूछता है: यह अस्तित्व कैसे है? तंत्र विज्ञान है, दर्शन नहीं।।शिव के ये वचन अति संक्षिप्त हैं, सूत्र रूप में हैं। लेकिन, शिव का प्रत्येक सूत्र एक वेद की, एक बाइबिल की, एक कुरान की हैसियत का है। उनका एक अकेला वाक्य एक महान शास्त्र का, धर्मग्रंथ का आधार बन सकता है। विज्ञान भैरव तंत्र का अर्थ ही है- चेतना के पार जाने की विधि...

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