Sunday 27 April 2014

ध्यान अपने लक्ष्य पर रखे।

सुमिरन की सुधि यों करौ,ज्यों गागर पनिहार।
हालै डोलै सुरति में,कहै कबीर विचार।।
जैसे पनिहारिन एक घड़ा पानी का सिर पर उठा कर और दूसरा बगल में लिये हुए घर की तरफ चली आ रही है।
उसकी दृष्टि रास्ते पर टिकी हुई है,कान सहेली की बातें सुनने मे लगे हुए हैं, और पाँव चल रहे हैं,शरीर सारा हिलता और डौलता हुआ आ रहा है,परन्तु सिर पर रखा घड़ा स्थिर है,वह हिचकौला नही खाता है, ऐसे ही व्यक्ति संसार के बीच अपने व्यवहार को निभाते हुए भी ध्यान अपने लक्ष्य पर रखे।

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