Monday 28 April 2014

क्योंकि दूसरों के लिए ही जीना ही असली जिंदगी है..

पैसा तो हर कोई
कमा लेता हैं लेकिन
खुशनसीब होते हैं जो
"परिवार" कमा लेते हैं !

अगर कोई आपको
अच्छा लगता हैं तो
अच्छा वो नहीं अच्छे
आप हैं क्योंकि
आपने उसमें अच्छाई
खोजी हैं !

"जोखिम उठाएं"
यदि आप जीत जाते हैं,
तो आप प्रसन्न होंगे,
यदि आप हार जाते हैं,
तो आप समझदार बन जाएंगे !

ज्ञान से हम शब्दों को जानते हैं,
लेकिन अनुभव से हम शब्दों
का अर्थ जानते हैं !

जब भी जीवन आपको
दुखी होने के 100 कारण दे
आप पलट कर उसे खुश होने
के 1000 कारण दें !

ईश्वर का दिया कभी अल्प नहीं होता,
जो टूट जाये वो संकल्प नहीं होता..
हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,
क्योंकि जीत का कोई विकल्प नहीं
होता..

जिंदगी में दो चीज़ें हमेशा टूटने के लिए ही होती हैं :
"सांस और साथ.."
सांस टूटने से तो इंसान 1 ही बार मरता है,
पर किसी का साथ टूटने से इंसान पल-पल मरता है..

जीवन का सबसे बड़ा अपराध : किसी की आँख में आंसू आपकी वजह से होना..
और
जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि : किसी की आँख में आंसू आपके लिए होना..

जिंदगी जीना आसान नहीं होता,
बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता..
जब तक न पड़े हथोड़े की चोट,
पत्थर भी भगवान नहीं होता..

जरुरत के मुताबिक जिंदगी जिओ, ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं..
क्योंकि जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है,
और ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती है..

मनुष्य सुबह से शाम तक काम करके उतना नहीं थकता,
जितना क्रोध और चिंता से एक क्षण में थक जाता है..

दुनिया में कोई भी चीज़ अपने आपके लिए नहीं बनी है..
जैसे:
दरिया - खुद अपना पानी नहीं पीता..
पेड़ - खुद अपना फल नहीं खाते..
सूरज - अपने लिए हररात नहीं देता..
फूल - अपनी खुशबु अपने लिए नहीं बिखेरते..
मालूम है क्यों..?
क्योंकि दूसरों के लिए ही जीना ही असली जिंदगी है..

मांगो तो अपने रब से मांगो,
जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत..
लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना,
क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी..

कभी भी 'कामयाबी' को दिमाग और 'नकामी' को दिल में जगह नहीं देनी चाहिए..
क्योंकि, कामयाबी दिमाग में घमंड और नकामी दिल में मायूसी पैदा करती है..

कौन देता है उम्र भर का सहारा..?
लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं..

कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए..
यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती, तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता..?

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