Sunday 27 April 2014

जिस माला में राम नहीं

माला राम नाम की 
भज ले प्यारे साँझ सवेरे इक माला हरि नाम की 
जिस माला में राम नहीं वो माला है किस काम की 
राम नाम के बल पर सागर पर सिला तिराई थी 
बाण लगा जब लखन को संजीवनी पिलाई थी 
नाम के बल पर देखो जय हो गई हनुमान की 
जिस माला में राम नहीं वो माला है किस काम की 

नाम के बल पर अगंद जी ने रावण को ललकारा था 
लेकर नाम प्रभु का वो रावण की सभा में पधारा था 
महिमा अपरम्पार है श्री रामचंद्र भगवन की 
जिस माला में राम नहीं वो माला है किस काम की 
इक माला को माँ सीता ने बजरंगी को भेंट किया 
बजरंगी ने देखा भाला फिर माला को फ़ेंक दिया 
बजरंगी से ज्यादा कौन पहचाने कीमत श्रीराम नाम की 
जिस माला में राम नहीं वो माला है किस काम की

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