Sunday 27 April 2014

यह है राम नाम की महिमा

राम नाम की महिमा !
भगवान श्री राम का नाम लिखे हुए पत्थर समुन्द्र के पानी में तैर रहे है यह बात जानकर रावण के दरबार में इस बात पर चर्चा हो रही थी !सभी दरबारी एक ही बात कह रहे थे कि महाराज यह कैसे संभव हो सकता है कि पत्थर पानी में राम का नाम लिखने से तैरने लगे !
रावण को अपना अपमान होता सा प्रतीत हुआ तो उसने कहा कि मेरा नाम लिखा पत्थर भी बिना किसी माया के पानी में तैर सकता है ; चलो दिखाता हूँ !
रावण सभी दरबारियों के साथ समुन्द्र तट पर गया और एक बहुत बड़े और भारी पत्थर पर अपना नाम लिखा और पानी में छोड़ दिया !देखते ही देखते रावण लिखा वह पत्थर भी पानी में तैरने लगा !सारे दरबारी रावण की जय जयकार करने लगे !
रावण प्रसन्न मन से अपने महल में पंहुचा और अपने शयन कक्ष में चला गया !मंदोदरी ने रावण के चरण छू कर कहा -महाराज आज आपकी महिमा सुनी कि आपका नाम लिखा पत्थर भी श्री राम के नाम लिखे पत्थरों की तरह पानी में तैरने लगा !महाराज आप परम शक्तिशाली है महा ज्ञानी है इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है !किन्तु मैं यह भी जानती हूँ कि बिना माया का उपयोग हुए आपका नाम लिखा पत्थर पानी में नहीं तैर सकता !
रावण मुस्करा कर बोला -मंदोदरी तुमने बिल्कुल सही पहचाना ;मैं बिना माया प्रयोग के पानी में पत्थर नहीं तैरा सकता किन्तु सच में मैंने माया का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं किया है !
-फिर यह संभव कैसे हुआ महाराज ?
-मंदोदरी मैंने एक पत्थर पर अपना नाम लिखा और पानी में डालते समय मन में कहा कि हे पत्थर तुझे श्री राम की सौगंध है तुझे तैरना ही होगा !यह राम नाम की ही महिमा थी कि पत्थर पानी में तैरने लगा !मंदोदरी अचंभित भाव से रावण की ओर देखने लगी !
यह है राम नाम की महिमा जिसका सम्मान रावण जैसा शत्रु भी करता था !
जय सिया राम !

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