Thursday 19 June 2014

समझेगा क्या भला वो

मुरली बजा के मोहन ,क्यों कर लिया किनारा ,
अपनों के साथ कैसा, व्यवहार है तुम्हारा !
ढूँढा गली - गली में, खोजा डगर - डगर में,
पर मन में यही लगन है, दर्शन मिले दुबारा !
मधुबन तुम्हीं बताओ , मोहन कहाँ गया है,
कैसे झुलस गया है, कोमल बदन तुम्हारा !
यमुना तुम्हीं बताओ , छलिया कहाँ गया है,
तू भी छली गई है , कहती है लील धारा !
दुनियाँ कहे दीवानी , पागल कहे जमाना ,
पर तुमको भूल जाना , हमकों नहीं गँवारा !
राधा की पीर निर्मल , ब्याकुल ह्दय ही जाने,
समझेगा क्या भला वो, जिसको न गम पियारा !!

No comments:

Post a Comment