Sunday 29 June 2014

आपस में झगड़ा करेंगे

कलियुग में संसारी मनुष्य दया व सच्चाई छोड़ देने से सामर्थ्यहीन हो जावेंगे और आयु थोड़ी होने में कुछ शुभ कर्म उनसे नहीं बन पड़ेगा ! राजा लोग प्रजा को दुःख देकर अन्न का चारों भाग ले लेंगे ! वर्षा थोड़ी होगी , अन्न कम उत्पन्न होगा ! महँगी पड़ने से सब मनुष्य खाने के बिना दुःख पाकर अपने-अपने वर्ण व आश्रम का धर्म छोड़ देंगे !
कलियुग में मनुष्यों की आयु एकसौ बीस वर्ष की लिखी है , पर अधर्म करने से पूरी आयु न भोगकर उसके भीतर मर जावेंगे ! कलियुग के अंत में बहुत पाप करने के कारण बीस-बाईस वर्ष से अधिक कोई नहीं जीवेगा ! ऐसा चक्रवर्ती व प्रतापी राजा भी कोई नहीं रहेगा जिसकी आज्ञा सातों द्वीपों के राजा पालन करें ! जिनके पास थोड़ासा भी राज्य व देश होगा वे अपने को बड़ा प्रतापी समझेंगे ! 
थोड़ी आयु होने पर भी पृथ्वी व धन लेने के लिए आपस में झगड़ा करेंगे और अपना धर्म व न्याय छोड़कर जो मनुष्य उनको द्रिव्य देगा उसका पक्ष करेंगे ! पाप पुण्य का विचार न रक्खेंगे ! चोरी व कुकर्म करने और झूठ बोलने में अपनी अवस्था बीताकर दमड़ी की कौड़ी के लिए मित्र से शत्रु हो जावेंगे !
गायों के दूध बकरी के समान थोड़ा होगा ! ब्राह्मणों में कोई ऐसा लक्षण नहीं रहेगा जिसे देखकर मनुष्य पहिचान सके कि यह ब्राहम्ण है ! पूछने से उनकी जाति मालूम होगी ! धनपात्र की सेवा सब लोग करेंगे , उत्तम-मध्यम वर्ण का कुछ विचार नहीं रहेगा ! व्यापार में छल अधिक होगा ! स्त्री-पुरुष का चित्त मिलने से ऊँच-नीच जाति आपस में भोग-विलास करेंगे ! ब्राह्मण लोग अपना धर्म-कर्म छोड़कर जनेऊ पहिनने से ब्राह्मण कहलावेंगे !
ब्रह्मचारी व वानप्रस्थ जटा सिर पर बढ़ाकर अपने आश्रम के विचार छोड़ देंगे ! उत्तम वर्ण कंगाल से धनपात्र मध्यम वर्ण को अच्छा समझेंगे ! झूठी बात बनानेवाला मुर्ख मनुष्य सच्चा व ज्ञानी कहलावेगा !
तीनों वर्णों के मनुष्य जप , तप , संध्या व तर्पण करना छोड़कर नहाने के उपरान्त भोजन कर लेंगे ! केवल स्नान करना बड़ा आचार समझेंगे और ऐसी बात करेंगे कि जिससे संसार में यश हो ! अपनी सुन्दरता के लिए शिर पर बाल रखेंगे ! परलोक का सोच न करेंगे !
चोर व डाकू बहुत उत्पन्न होकर सबको दुःख देंगे ! राजा लोग चोर व डाकू से मेल करके प्रजा का धन चुरवा लेंगे ! दश वर्ष की कन्या बालक जानेगी और कुलीन स्त्रियाँ दूसरे पुरुष की चाह रखेंगी ! अपना कुटुम्ब पालनेवाले को सब लोग अच्छा जानेंगे ! केवल अपना पेट भरने से सब छोटे-बड़े प्रसन्न रहेंगे ! बहुत लोग अन्न व वस्त्र का दुःख उठावेंगे !
वृक्ष छोटे होंगे ! औषधों में गुण नहीं रहेगा ! शुद्र के समान चारों वर्णों का धर्म होगा ! राजा लोग थोड़ी सी सामर्थ्य रखने पर सब पृथ्वी लेने की इच्छा रखेंगे ! गृहस्थ लोग माता-पिता को छोड़कर ससुर , साले और स्त्री की आज्ञा में रहेंगे ! निकट के तीर्थो पर विश्वास न रखकर दूर के तीर्थों में जावेंगे , पर तीर्थ में नहाने और दर्शन करने से जो फल मिलता है उस पर उनको निश्चय न होगा !
होम और यज्ञ आदि संसार में कम होंगे ! गृहस्थ लोग दो-चार ब्राह्मण खिला देने को ही बड़ा धर्म समझेंगे ! सब लोग धर्म व दया छोड़कर ऐसे सूम हो जावेंगे कि उनसे अतिथि को भी भोजन व वस्त्र नहीं दिया जाएगा ! सन्यासी लोग अपना धर्म-कर्म छोड़कर गेरुआ वस्त्र पहिनने से दंडी मालूम होंगे !

No comments:

Post a Comment