Monday 30 June 2014

बुरी हरकतों केप्रति सजग रहें

"आइये जाने योगी किसे कहते"
किसे कहते हैं योगी? निश्चितही आपआसन औरप्राणायाममें पारंगतकिसी व्यक्ति कोयोगी कहना चाहेंगे, याफिरकिसी योग केचमत्कार को बताने वालों को आप योगीकहतेहोंगे।लेकिनहम आपको बताना चाहते हैं कि योगी होने केलिएआसन या प्राणायाम करनेकी आवश्यकता ही नहीं शरीर शोधन की भी जरुरत होती है
आजकेदौरमेंजितने भी योगाचार्य आपदेखरहे हैं उनमेंसे शायद एक भी व्यक्ति योगी नहींहोगा। तब योग ग्रंथों अनुसार योगी किसे कहतेहैं।आइए, यही जानने का हम प्रयासहम करते हैं।
कृष्ण नेकहाहैकि योगस्थया योगारूढ़व्यक्ति वह है जो स्थितप्रज्ञ हैऔर जो ‍नींद में भी जागा हुआ रहता है। आजके हमारेयोगी तो जागेहुएभी सोते सेलगतेहैं।
योग कामूलमंत्र है चित्त वृत्तियों का निरोधकरमनके पार जाना।कुछलोगआसन-प्राणायाम काअभ्यास करे बगैरभी उस स्थिति को प्राप्तकरलेते हैं, जिसको योगमें समाधि कहा गया है।
यम, नियम, आसन, प्राणायाम औरप्रत्याहारतो योग में प्रवेश करने की भूमिका मात्रहै, इन्हें साधकरभी कई लोग इनमें ही अटकेरह गए, लेकिन साहसी हैं वेलोग, जिन्होंने धारणा औरध्यान काउपयोगतीर-कमानकी तरह किया और मोक्षनामक लक्ष्य को भेद दिया।
वेदों में जड़बुद्धि सेबढ़कर प्राणबुद्धि, प्राणबुद्धि से बढ़कर मानसिकऔर मानसिकसे बढ़कर'बुद्धि'मेंही जीने वाला श्रेष्ठकहा गया है। बुद्धिमान लोग भुलक्कड़ होते हैं ऐसा जरूरी नहींऔर स्मृतिवान लोग बुद्धिमानहोंयह भी जरूरी नहीं, लेकिनउक्त सबसे बढ़करवह व्यक्ति है जो विवेकवानहै, जिसकी बुद्धि औरस्मृति दोनों ही दुरुस्त हैं।उक्त विवेकवान से भी श्रेष्ठ होताहैवह व्यक्ति जो मन केसारे क्रिया-कलापों, सोच-विचार, स्वप्न-दुखसेपारहोकरपरम जागरण मेंस्थित हो गया है। ऐसा व्यक्तिही मोक्ष के अनंत और आनंदित सागरमें छलाँग लगा सकता है।
कैसे रहेंजाग्रत :योगकहता हैकि अपने शरीरऔर मनकी अच्छी और बुरी हरकतों केप्रति सजग रहेंअर्थात दूरहटकर इन्हेंदेखने का अभ्यासकरतेरहें। समय-समय परइनकी समीक्षाकरते रहें। बस, जैसे-जैसे यह अभ्यास गहराएगा, तुम्हें खुद को समझ में आएगा कि हमारेभीतरकितना कचरा है औरयह सब कितना बचकाना है।
इसे इसतरह समझे मसलनकी आप इसवक्त यह लेख पढ़रहे हैं, लेकिन पढ़तेवक्त भी आपका ध्यानकहींओरहोने के बावजूद भी आपसमझ रहे हैं। आपका हाथकहाँहैसोचें और आपइस वक्तक्या सोच रहेहैंयह भी सोचें।
गहराईसे औरपूरी ईमानदारी सेस्वीकारकरें कि यहाँलिखा गया तब आपको पता चला कि मेरा हाथकहाँ था औरमैंइसके अलावा और क्या सोचरहा था।सिरमें दर्द होता है तभी हमें पता चलता है कि हमारा सिरभी है। आपशरीरऔरविचार के जंजाल सेइस कदरघिरे हुए हैं कि खोए-खोएसे रहतेहैं।

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