Thursday 26 June 2014

सदगुरु का वास है

 शरीर ज्ञान परिचय
तब धर्मदास बोले - हे साहिब ! मैं बङ भागी हूँ । जो आपने मुझे ज्ञान दिया । अब आप मुझे शरीर का निर्णय विचार भी कहिये । इसमें कौन सा देवता कहाँ रहता है ? और उसका क्या कार्य है ? नाङी रोम कितने हैं ? और शरीर में खून किसलिये है ? तथा स्वांस कौन से मार्ग से चलती है ? आँते । पित्त । फ़ेफ़ङा और आमाशय इनके बारे में भी बताओ । शरीर में स्थिति कौन से कमल पर कितना जप होता है ? और रात दिन में कितनी स्वांस चलती है ? कहाँ से शब्द उठकर आता है ? तथा कहाँ जाकर वह समाता है ? अगर कोई जीव झिलमिल ज्योति को देखता है । तो मुझे उसका भी ज्ञान विवेक कहो कि उसने कौन से देवता का दर्शन पाया ?
कबीर साहब बोले - हे धर्मदास ! अब तुम शरीर विचार सुनो ।
सत्यपुरुष का नाम सबसे न्यारा और शरीर से अलग है । क्योंकि वह आदिपुरुष कृमशः - स्थूल । सूक्ष्म । कारण । महाकारण तथा कैवल्य शरीरों से अलग है । इसलिये उसका नाम भी अलग ही है ।
पहला मूलाधार चक्र गुदा स्थान है । यहाँ 4 दल का कमल है । इसका देवता गणेश है । यहाँ 1600 अजपा जाप है मूलाधार के ऊपर स्वाधिष्ठान चक्र है । यह 6 दल का कमल है । यहाँ बृह्मा सावित्री का स्थान है । यहाँ 6000 अजपा जाप है । 8 दल ( पत्ते ) का कमल नाभि स्थान पर है । यह विष्णु लक्ष्मी का स्थान है । यहाँ 6000 अजपा जाप है ।
इसके ऊपर ह्रदय स्थान पर 12 दल का कमल है । यह शिव पार्वती का स्थान है । यहाँ 6000 अजपा जाप है । विशुद्ध चक्र का स्थान कंठ ( गला ) है । यह 16 दल का कमल है । इसमें सरस्वती का स्थान है । इसके लिये 1000 अजपा जाप है ।
भंवर गुफ़ा 2 दल का कमल है । वहाँ मन राजा का थाना ( चौकी - मुक्त होते जीव को भरमाने के लिये ) है । इसके लिये भी 1000 अजपा जाप है । इस कमल के ऊपर शून्य 0 स्थान है । वहाँ होती झिलमिल ज्योति को काल निरंजन जानो । सबसे ऊपर सुरति कमल में सदगुरु का वास है । वहाँ अनन्त अजपा जाप है ।
हे धर्मदास ! सबसे नीचे मूलाधार चक्र से ऊपर तक 21600 स्वांस दिन रात चलती है ।

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