Sunday 29 June 2014

इनके प्रति सम्मान , सेवा करते जाए


ज्योतिष के कई उपाय इस प्रकार के है कि उनको फलित होने में और समस्या का समाधान देने में समय लगता है लेकिन कुछ उपाय ऎसे भी है जो अचूक है और जिनके लिए रामबाण शब्द का प्रयोग किया जा सकता है । हम उस जगद्गुरू भारत में निवास करते है जहाँ हजारों साल पहले कहा गया कि 'शब्दगुणम् आकाशम्' और आज मोबाइल आपके हाथ में है । कहने का मतलब है कि मंत्र में वो शक्ति है जिसके द्वारा प्रत्येक लाभ प्राप्त किया जा सकता है लेकिन क्या करें कि अनथक उपाय किए , मंत्र जपे लेकिन कोई लाभ नही , क्यों ?
हम में से लगभग कोई भी ऎसे घर में नही रहता होगा जहाँ पूजा पाठ या कम से कम अगरबत्ती नही जलाई जाती होगी पर परिणाम वहीं ढाक के तीन पात ॥
फिर ये सोचकर हार मानकर बैठ गए कि न तो ईश्वर है , न ज्योतिष है और समझदार लोग सोचते है कि मेरा दुर्भाग्य इतना शक्तिशाली है कि कोई उपाय काम नहीं करता । 
पहली बात- हम दिन भर अनेक आनंद के क्षण भोगेंगे लेकिन परमात्मा के सामने खङे होंगे तो यूं जैसेकि वो अहसानमंद हो कि हमने उसके पास जाने का समय निकाला । मन में घूम रहा होता है अलग विचार शरीर है ईश्वर के सामने , मत जाइये मंदिर , आवश्यकता नही है उस शरीर को पहुंचाने की बस घर पर बैठकर आत्मीयता से एक बार खुद को जोङकर देखिये ।
चन्द्र ग्रह माँ का कारक है वो घर में दुखी बैठी है हम सोमवार का व्रत रख उम्मीद करते है कि सब ठीक हो जाएगा ।
युं ही सूर्य - पिता, मंगल - भाई, बुध- बहन आदि के प्रतिनिधि है ।
लाख पते की बात है और ये चैलेंज है ज्योतिष से घृणा करने वालों के लिए कि कोई भी संतान मोटरसाइकिल का आनंद पच्चीस वर्ष से पहले तभी भोगेगी जब उसकी मां का स्नेह उसपे होगा बल्कि युं कहिये कि पच्चीस वर्ष से पहले यदि तीन संताने है तो सबसे पहले वाहन का सुख भोगने का सौभाग्य उसे मिलेगा जिसपर माँ सर्वाधिक स्नेह रखती है ।
पच्चीस वर्ष इसलिए कि उसके बाद जातक भाग्येश काम करने लगता है वो वाहन छीन भी सकता है और एक से ज्यादा भी कर सकता है ।
आर्थिक स्थिति - हालांकि कुंडली में लग्न , धन , आय स्थान आदि मायने रखते है आर्थिक हालात बनाने बिगाङने में लेकिन धन के मामले में सबसे ज्यादा नियंत्रण गुरू ग्रह के हाथ में रहता है तो यदि हम अपनी आर्थिक स्थिति सुधारना चाहे तो सबसे पहले कुंडली की बाधकता किसी योग्य ज्योतिर्विद से दूर करवायें फिर दादा, दादी और गुरू इनके प्रति सम्मान , सेवा करते जाए आपकी तन्मयता, सेवाभावना ज्यों ज्यों बढेगी आपकी समस्यायें घटती चली जायेंगी लेकिन पुनः निवेदन है कि कुंडली की बाधकता नष्ट करवाना आवश्यक है ।
इन बुजुर्गों विशेषतः दादा, दादी , गुरू और अन्य बुजुर्ग की सेवा आपकी अनेक समस्याओं का समाधान कर सकती है ।

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