Thursday 26 June 2014

सबसे बड़ी शत्रु है

"शैतान" शब्द के अर्थ का जितना अनर्थ किया गया है सम्भवतः उतना अन्य किसी भी शब्द का नहीं| 
शैतान का अर्थ लोग लगाते हैं कि वह कोई राक्षस या बाहरी शक्ति है पर यह सत्य नहीं है|
शैतान कोई बाहरी शक्ति नहीं अपितु मनुष्य के भीतर की कामवासना ही है जो कभी तृप्त नहीं होती और अतृप्त रहने पर क्रोध को जन्म देती है| क्रोध बुद्धि का विनाश कर देता है और मनुष्य का पतन हो जाता है| यही मनुष्य की सबसे बड़ी शत्रु है|
ईसाईयत आदि मजहबों में इसे Devil या Satan कहते हैं| उनके अनुसार भगवान सही रास्ते पर ले जाता है पर शैतान गलत रास्ते पर भटका देता है| पर वास्तव में यह काम वासना ही है जो शैतान है|
इससे बचने का एक ही मार्ग है और वह है साधना द्वारा स्वयं को देह की चेतना से पृथक करना| यह अति गंभीर विषय है जिस पर चर्चा करने की मुझमें योग्यता नहीं है पर हरिकृपा से इसे पूरी तरह समझता हूँ| स्वयं के सही स्वरुप का अनुसंधान और दैवीय शक्तियों का विकास हमें करना ही पड़ेगा जिसमें कोई प्रमाद ना हो| यह प्रमाद ही मृत्यु है जो हमें इस शैतान के शिकंजे में फँसा देता है|

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