Saturday 31 May 2014

अलग मात्रा में उत्पन्न होती हैं ,रासायनिक संरचना और स्राव भिन्न होता है ,अतः सबकुछ भिन्न हो जाता है |ऐसे में उसका खुद का विश्लेषण और खुद का खुद को सुझाव ही अधिक उपयुक्त होता है |खुद में स्थित ईश्वर अधिक उपयोगी होता है |इसलिए आपको खुद की सुनानी चाहिए और इस प्रयोग को जरुर करना चाहिए 
इन सबके लिए आपको करना केवल इतना मात्र है की आप अपने दिन भर के कार्यों से निवृत्त होकर जब सोने के लिए अपने बिस्तर पर जाएँ तो बिस्तर पर पड़े-पड़े अपनी कल्पनाओं को नियंत्रित करें और याद करें की आप कितने बजे सुबह उठे थे |सुबह उठकर आपने क्या-क्या किया था ,कौन कौन से काम किये थे ,किससे किससे क्या क्या बातें की थी |इनमे से आपको क्या करना चाहिए था क्या नहीं करना चाहिए था ` बोलना चाहिए था |कैसा व्यवहार करना चाहिए था ,कैसा नहीं करना चाहिए था |एक बात यहाँ गंभीरता से ध्यान दें की आप अपने दिल की आवाज और भावना को बिलकुल एक तरफ रख दें अन्यथा आपके निर्णय गलत हो सकते हैं |आप केवल अपने अंतर्मन और बुद्धि की आवाज ही सुनें |अंता में आप एक बात बहुत गंभीरता से सोचें की आपके सुबह के समस्त क्रिया कलाप ,बातचीत में कितना आपके लिए भविष्य की दृष्टि से फायदेमंद था ,कितना नुकसानदेय था |सुबह के समय में से कितना समय आपने भविष्य की दृष्टि से सदुपयोग किया और कितना समय का दुरुपयोग हो गया |आपके कार्यों में से कितना आपके काम भविष्य में आएगा और क्या नहीं आएगा |इनमे से किस्मे आपको सुधार करना चाहिए की वह आपके लिए भविष्य में फायदेमंद हो सके |क्या परिवर्तन किया जाना चाहिए की वह भविष्य के लिए लाभदायक हो सके |कैसा व्यवहार करना चाहिए था की परिवार -बच्चों -लोगों पर आपका अच्छा प्रभाव पड़ता ,किस व्यवहार का क्या प्रभाव भविष्य में आएगा ,कैसा व्यवहार हमारे परिवार को किस और ले जाएगा |हमारे निर्णयों में क्या -क्या गलतियाँ हो गयी जो नहीं होनी चाहिए थी अथवा जिनसे हमें बचना चाहिए था अथवा जिनसे हमें नुकसान हो सकता है |किस व्यक्ति से कैसे और क्या बात करनी चाहिए थी ,क्या नहीं करना चाहिए था |क्या जो हमने किया वह पूरी तरह उचित था या कुछ अनुचित हो गया |इस समय आप पूरी तरह स्वार्थी रहें और केवल खुद का और भविष्य की दृष्टि से स्वार्थ देखें |सारे विश्लेषण केवल बुद्धि और अंतर्मन से करे |समस्त विश्लेषण आप तटस्थ होकर करें |करें कुछ नहीं केवल विश्लेषण करें |फिर आप क्रमशः अपने दिन भर के कार्यों और अंततः रात्री के सोने के समय तक का विश्लेषण करें शांत -निर्लिप्त भाव से |फिर केवल एक निश्चय करें कल से आप कोशिश करेंगे की गलतियाँ कम हों |ऐसे कार्यों को प्राथमिकता देंगे जो की भविष्य के लिए लाभदायक हों |आपकी दृष्टि भविष्य को देखते हुए लाभ और हानि पर अधिक होनी चाहिए |फिर आप सो जाएँ |
उपरोक्त क्रिया आप लगातार बिना नागा रोज महीने भर करें |केवल १० मिनट खुद का विश्लेषण करें |१० मिनट से अधिक इसमें नहीं लगेगा |यह आपका आत्मनिरीक्षण है |यह वह उपलब्धियां दे सकता है जो कोई नहीं दे सकता |२४ घंटे के विभिन्न प्रपंचों में से केवल १० मिनट उनके विश्लेषण पर खर्च करें |निश्चित मानिए जीवन बदल जाएगा |अपने बच्चों -परिवार को भी इसके लिए प्रेरित करें ,समझाएं |एक ऐसे परिवार और सदस्यों का निर्माण होने लगेगा जिनमे बहुत कम कमियां होंगी |जिनके हर कार्य सुलझे और सोचे-समझे होंगे |जो आदर्श बनने लगेंगे |आप खुद आदर्श होंगे और आपका परिवार भी आदर्श होगा |आपको आपके भाग्य का पूर्ण फल मिलेगा ,क्योकि गलतियों की सम्भावना बहुत कम हो जायेगी |सोच-कर्म-व्यवहार सब बदल जाएगा |आप कह सकते हैं की यह सब तो हम जानते ही हैं इनमे कौन सी ख़ास बात है |पर फिर भी आप आप इसे करके देखें |आप परिणाम से खुद आश्चर्यचकित रह जायेंगे |आपका ईश्वर जो आपके अन्दर है वह आपको रास्ता दिखाता है ,उन्नति के राह बताता है ,गलतियाँ बताता है ,आप उसकी सुनिए तो सही ,सुनकर देखिये तो सही 

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