Monday 26 May 2014

ईश्वर क्या है ? मैं कौन हूँ

आत्मोन्नतिमें सहायक बातें -
हमको यह मनुष्य-जन्म मिला है-आत्मा के कल्याण के लिए । किन्तु जो मनुष्य आत्मकल्याण के कार्य को छोड़कर संसार के फंदे में फँस रहा है, उससे बढ़कर मूर्ख और कौन होगा । 

एकान्त में बैठकर नित्य यह विचार करे की ईश्वर क्या है ? मैं कौन हूँ ? मैं कहाँ से आया हूँ ? मैं क्या कर रहा हूँ ? मुझे क्या करना चाहिये ? इस प्रकार विचारकर दिन-पर-दिन अपनी उन्नति में अग्रसर होना चाहिये ।

मनुष्य-शरीर पाकर यदि परमात्मा की प्राप्ति नहीं हुई, उनका तत्वज्ञान नही हुआ तो यह जन्म व्यर्थ ही गया । मानवजन्म का समय बहुत ही दामी है, इसको सोच-समझ कर बिताना चाहिये ।

भगवत्प्राप्ति के जितने भी साधन है, उन सबमे उत्तम-से-उत्तम साधन है-भगवान को हर समय याद रखना । इसके समान और कोई साधन है ही नहीं । चाहे कोई उत्तम-से-उत्तम भी कर्म हो, पर वह भगवतस्मृति के समान नही है । चाहे भक्ति का मार्ग हो, चाहे ज्ञान का, चाहे योग का । सभी मार्गोंमें भगवान की स्मृति की ही परम आवश्यकता है ।

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