Monday 26 May 2014

हम तो भौतिक सुख की और दौड़ रहे हैं

अपने पुरुषार्थ से सुख-शान्ति नहीं मिलती, इसलिए भगवान से प्रार्थना करनी चाहिये । पदार्थों के संग से सुख-शान्ति नही मिल सकती । असली सुख-शान्ति परमात्मा में है । हम तो भौतिक सुख की और दौड़ रहे हैं । वहाँ सुख की प्रतीति हो रही है । पर सुख कहाँ है ? पुष्प में जो गन्ध है वह क्षणिक है । वास्तव में गन्ध नहीं है । यदि स्थायी सुख होता तो पुष्प को नाक के पास ही बांध देते । वैसे ही कानों के द्वारा अच्छा गायन सुनते है बहुत बार सुनने पर उसी गायन से अरुचि हो जाती है । वास्तव में सच्चा सुख होता तो बार-बार सेवन से अरुचि नहीं होती ।
असली सुख परमात्मा को छोड़ कर और किसी में नहीं है । 

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