Sunday 25 May 2014

उनके प्रति घृणा का या गंदा भाव मत रखो

कई बार हमे शब्दो के साथ साथ उसमे छिपी भावनाओ को देखकर ही , उस बात का अर्थ समझ में आ सकता है। "नारी नरक का द्वार है " इसका अर्थ केवल यह नहीं है कि नारी नरक भेजती है, बल्कि इसका भावार्थ यह है कि -- " अगर नारी के प्रति बुरी भावना रखोगे, तो वो आपके लिए नरक का द्वार खोल देगी " । जैसे अनेक पुरुष अनेकों नारियो के प्रति गंदी भावना रखते है, क्या ऐसे पुरुषो को दंड नहीं मिलना चाहिए? अवश्य मिलना चाहिए, तो इस दंड को देने का कारण नारी ही होगी, क्यो कि गंदी भावना उसी के प्रति रखी गयी। अतः इस पक्ति में नारी के अपमान नहीं बल्कि सम्मान की बात है। एवं इस बात को जो भी संत कहते है , वे ही संत ये भी कहते है कि -- " अनेक नारियो पर कुदृष्टि मत रखो, महिलाओ का सम्मान करो" , एवं "नारी नरक का मार्ग है" वाली बात पुरुषो को सावधान करने के लिए है कि -- "नारियो का अपमान मत करो, उनके प्रति घृणा का या गंदा भाव मत रखो । अतः इस वाली पक्ति की केवल शाब्दिक आधार पर समीक्षा करना उचित नहीं है। इस बात को कहने के पीछे जो भाव है उसका ग्रहण करना चाहिए। केवल सनातन वैदिक धर्म में ही स्त्रीयों को पूज्य समझा जाता है, उन्हे पुरुषो के समान माना जाता है। हमारे हर धार्मिक अनुष्ठान मे स्त्रियो को पुरुष के साथ ही बैठाया जाता है तभी धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण समझा जाता है। 

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