Saturday 31 May 2014

चमत्कार-सिद्धि के चक्कर में कभी न पड़ें

गुरु बनाने में जल्दबाजी और हडबडाहट न करें |तत्काल सिद्धि -चमत्कार के चक्कर में गुरु न बनायें |गुरु मुक्ति का पथ दिखाने के लिए बनाया जाता है ,सिद्धि-चमत्कार के लिए नहीं |यह तो रास्ते के पत्थर हैं जो अवरोध ही उत्पन्न करते हैं की व्यक्ति इसी में फसकर और भौतिकता में लिप्त होकर रह जाए | गुरु की तलाश में पूर्ण बुद्धि और समय का उपयोग करें जिससे बाद में पचतावा हो ही नहीं |कभी हमने भी गुरु की बहुत तलाश की थी और जहाँ जाकर सर झुका था वहां से हमें स्वीकार ही उस समय नहीं किया गया |तीन साल तक भगाया जाता रहा ,उपेक्षा होती रही ,पर अंततः कृपा हुई और हम धन्य हुए |इसलिए पहले तो गुरु को स्थिर मन से मुक्ति को लक्ष्य कर तलाशें ,भौतिकता को लक्ष्य कर तलाशा गया गुरु सिद्धि-चमत्कार से आगे ले ही जा पायेगा कहा नहीं जा सकता |अतः लक्ष्य हमेशा अंतिम रखें ,अपने अन्दर अट्टू श्रद्धा -विश्वास-समर्पण रखें गुरु के प्रति भी और लक्ष्य के प्रति भी ,यह टूटने न पाए |गुरु तलाश कर वही पर अपनी श्रद्धा बनाये रखें और प्रयास रत रहे ,जरुरी नहीं की तत्काल कृपा हो ही जाए |भ्रम-आडम्बर-प्रचार-दिखावा-चमत्कार-सिद्धि के चक्कर में कभी न पड़ें ,यह आपको भटकाकर लक्ष्य मुश्किल कर सकते हैं |खुद को योग्य बनाएं बजाय गुरु की योग्यता देखने के |अपने को ऐसा करें की खुद गुरु आपको अपना शिष्य बनाने को आ जाए |एक बात हमेशा दिमाग में रखें कभी भी गुरु के प्रति बहुत तार्किक न हों ,क्योकि बहुत सी ऐसी चीजें है जो आप समझ नहीं सकते और गुरु आपको समय से पहले समझा नहीं सकता ,अतः केवल विश्वास पर रहें ,अति तर्क आपमें अश्रद्धा उत्पन्न कर सकता है ,जबकि आप गलत भी हो सकते हैं ,क्योकि ऊर्जा संरचना और प्रकृति का विज्ञान गुरु ही समझ सकता है जब तक वह आपको बताता नहीं |अतः बेवजह तर्क से दूर रहें |गुरु पर किया गया विश्वास अंततः आपको सफल अवश्य बना देगा |.

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