Tuesday 27 May 2014

अपना प्यारा भक्त बताया है

यह ठीक हुआ, यह बेठीक हुआ। नफा हुआ, नुकसान हुआ। राजी हुए, नाराज हुए। यह वैरी है, यह मित्र है। इसने मान कर दिया, इसने अपमान कर दिया। इसने निन्दा कर दी, इसने प्रशंसा कर दी। इसने आराम, सुख दिया, इसने दु:ख दिया। अब इनको देखते रहोगे तो भगवान्‌ नहीं मिलेंगे। अत: राग-द्वेषके वशीभूत न हों, राजी-नाराज न हों। राजी-नाराज न होनेवालेको भगवान्‌ने त्यागी बाताया है। जो राग-द्वेष नहीं करता, उसको भगवान्‌ने अपना प्यारा भक्त बताया है। संसारमें अच्छा और मन्दा तो होता रहता है। अत: साधकके लिये इसमें क्या ठीक और क्या बेठीक।

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