Wednesday 28 May 2014

क्या जाने कल ना आये

अनमोल तेरा जीवन 
यूँ ही गँवा रहा है (2)
किस ओर तेरी मंजिल 
किस ओर जा रहा है (2) 
अनमोल तेरा जीवन 
यूँ ही गँवा रहा है (2)

सपनों की नींद में ही 
ये रात ढल न जाए 
पल भर का क्या भरोसा 
क्या जाने कल ना आये [2] 

गिनती की हैं ये साँसें 
यूँ ही लुटा रहा है (2)
किस ओर तेरी मंजिल 
किस ओर जा रहा है 
अनमोल तेरा जीवन 
यूँ ही गँवा रहा है (2)

ममता के बंधनों ने 
ले आज तुझको घेरा 
सुख के सभी हैं साथी 
दुःख में न कोई तेरा [2]

तेरा ही मोह तुझको 
कब से रुला रहा है (2)
किस ओर तेरी मंजिल 
किस ओर जा रहा है 
अनमोल तेरा जीवन 
यूँ ही गँवा रहा है (2)

जब तक है भेद मन में 
भगवान से जुदा है 
देखे जो दिल का दर्पण 
इस दिल में ही खुदा है [2] 

सुख रूप हो के खुद ही 
दुःख आज पा रहा है 
किस ओर तेरी मंजिल 
किस ओर जा रहा है 
अनमोल तेरा जीवन 
यूँ ही गँवा रहा है (2)

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