Saturday 31 May 2014

सब कुछ किसी एक में ही ढूंढता उचित नहीं

अक्सर हमसे फेसबुक पर लोग गुरु के बारे में पूछते मिलते हैं |हमसे योग्य और सक्षम गुरु के बारे में बताने का अनुरोध करते हैं |अक्सर लोग्य कहते मिलते हैं योग्य गुरु को कहाँ तलाशें ,कहाँ मिलेंगे योग्य गुरु |अर्थात गुरु को योग्य -सिद्ध-सक्षम अवश्य होना चाहिए जो इन्हें चमत्कार दिखा सके ,तुरंत सिद्धि दिला सके ,अपनी क्षमता और खुद के बारे में कोई नहीं सोचता | कैसे कहें की ऐसे गुरु की तलाश नहीं होती |फेसबुक पर गुरु की तलाश करना भूसे के ढेर में लगभग सुई ढूँढने जैसा ही है |ऐसा नहीं है की इस माध्यम पर भी गुरु नहीं हैं ,किन्तु उसकी परख के लिए भी तो आपमें वह क्षमता चाहिए ही की आप उन्हें परख सके |किसी के बताने से किसी को गुरु बना लेना बहुत उपयुक्त नहीं है |इसके लिए तो खुद ही देखना-समझना-प्रयास करना चाहिए |सबसे पहले अपने आस्था-विश्वास को दृढ करना चाहिए |जरुरी नहीं की हर गुरु हर विद्या में सिद्ध हस्त हो ,कोई भी एक विद्या में ही समर्थ होता है अक्सर अतः सब कुछ किसी एक में ही ढूंढता उचित नहीं |जरुरी नहीं की आपका गुरु अति समर्थ हो ,अगर आपमें श्रद्धा और विश्वास है तो वह गुरु भी भगवान से मिलाने में सक्षम है जिसने खुद भगवान के दर्शन नहीं किये |इसका अपना एक विज्ञान और सिद्धांत है |सब उर्जाओं का खेल है |जब आपकी श्रद्धा -विश्वास पत्थर को भगवान बना सकती है तो मनुष्य क्यों नहीं भगवान दिला सकता |आप विश्वास तो करें |

हमारी बात से बहुत से लोग असहमत हो सकते हैं किन्तु फिर भी हम कहना चाहेंगे की यदि आपने किसी को एक बार गुरु मान लिया तो फिर कभी भी आप उनपर अविश्वास-अश्रद्धा-संदेह न करें ,भले ही उनमे बाद में कमियां दिखें या लोग कहें |इसके कई कारण होते हैं ,हो सकता है लोग गलत हों ,हो सकता है जिस कमी की बात हो उसके कोई और कारण हो जो आप या लोग न समझ पाए ,हो सकता है जिस कमी को आपने देखा हो वह उन्होंने जान बूझकर आपको दिखाया हो ,हो सकता है उन्होंने आपकी परीक्षा ली हो ,हो सकता है जो कमी सामाजिक रूप से बताई जा रही हो उसके कोई गंभीर आध्यात्मिक कारण हों अथवा वह किसी उद्देश्य विशेष से जुड़ा हो |ऐसी बहुत सी बातें हो सकती हैं |[[ यद्यपि बहुत से आधुनिक गुरुओं में कमियां पाई जा रही हैं ,और बहुत लोग केवल चोला धारण कर गुरु बन इसे अपनी भौतिकता की पूर्ति का माध्यम बना बैठे हैं ,किन्तु इसका निर्णय गुरु बनाने के पहले ही करना चाहिए ,बाद में नहीं और अंधी श्रद्धा में गुरु नहीं बनाना चाहिए ]]वास्तव में अगर गुरु कम ही सक्षम है तो भी आप की साधना से उसका बहुत लेना देना नहीं होता |आपकी सिद्धि और लक्ष्य प्राप्त शुरू में आपके भाग्य -ग्रह गोचर पर और बाद में आपकी लगन-श्रद्धा और क्षमता पर निर्भर करती है |बहुत ही कम लोगों को ऐसे गुरु मिल पाते हैं जो शक्तिपात से उनमे शक्ति का संचार कर सकें |कहने को तो बहुत लोग दावा करते हैं |यदि किसी पर शक्ति पात न हो अथवा बहुत सक्ष्गम गुरु न मिले तो क्या व्यक्ति सिद्ध नहीं हो सकता |हो सकता है बिलकुल हो सकता है श्रद्धा- विश्वास में इतनी स्जक्ति है की वह कुछ भी कर सकती है |अगर आपमें एक बार गुरु के प्रति अश्रद्धा -अविश्वास उत्पन्न हुआ तो आप मान लीजिये आप भविष्य में भी सफल नहीं होंगे |आपमें भयानक कमी है |फिर यह उत्पन्न होगा अगले गुरु के प्रति भी ,उनमे भी यह कमियां खोजेगा और आपको कभी सफल नहीं होने देगा |

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