Monday 26 May 2014

उत्तम-से-उत्तम गति मिलती है ।

ईश्वर को माननेवाला मनुष्य ईश्वर के भय से पाप नही करता और ईश्वर पर निर्भय हो जाता है, जिससे उसके ह्रदय में निर्भयता, धीरता, वीरता, गम्भीरता आदि अनेक गुण आ जाते है । ईश्वर के चिन्तन से अनायास ही सारे दुर्गुण-दुराचारों का नाश होकर उसमे पूर्णतया सद्गुण-सदाचार आ जाते है तथा परम शान्ति और परम आनन्द की प्राप्ति होकर मरने पर उत्तम-से-उत्तम गति मिलती है ।

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