Tuesday 27 May 2014

दूसरा ठहरता ही कहाँ है।

प्रेम संबन्ध - अगर प्रेम नही है तो कोई सम्बन्ध भी नही है।और प्रेम है तो कितना भी दूर हो आपस में सदा जुडे हो।आज नर नारी में प्रेम नही है और मात्र देह सम्बन्ध हैं ।जिनमें प्रेम नही है वे जीवित भी कहाँ हैं और जब जीवित नही तो ऐसे प्रेम रहित नर,नारी से सम्बन्ध लाश से सम्बन्ध जैसा है।लाश से सम्बन्ध दुख देता है।बिना प्रेम कभी देह सम्बन्ध सुख नही देता,ऐसे जबरदस्ती के बने जोडे जो इसे भोगते हैं उनमें नर बडी तेजी से नपुंसक होने लगता है और नारी गहरी रासायनिक विकृति झेलती है ।अतः प्रेम बिन सम्बन्ध नही होता ।और प्रेम किसी में नही है ।जिन्हे ईश्वर ज्ञान से या भक्ति से प्रिय हैं प्रेम उन्ही में होता है।देह की छोडो आज माँ बेटे में प्रेम नही है ,आज नारी में ममता भी नही है।कलयुग में अज्ञान इस तरह हावी है कि बस "मैं,मैं,मैं,मैं,मैं" है ।जहाँ मैं ही है वहाँ दूसरा ठहरता ही कहाँ है।

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