Sunday 25 May 2014

वह वांछित फल की प्राप्ति अवश्य करायेगा

जप का अर्थ किसी मन्त्र या भगवान् के नाम को बार-बार दुहराना हैं| जप के अभ्यास से मन की अशुध्दियाँ दूर होती हैं, संस्कार शिथिल होते हैं, पाप जल जाते हैं, आशाक्तियाँ नष्ट होती हैं और भक्त भगवान् के सन्मुख आ खड़ा होता हैं| भगवान् का नाम हमारे अंदर एक प्रकार का दिव्य, अलौकिक शक्ति भर देता हैं और हमारे स्वाभाव में आश्चर्य जनक परिवर्तन ला देता हैं| मन निर्मल बनाने के लिए जप, एक दिव्य साबुन हैं| यह हमारे सूक्ष्म शरीर से सभी प्रकार के मैल को धोकर उसे सुंदर ढंग से साफ करता हैं| इस कलियुग में ईश्वर तक पहुचने के लिए जप सबसे सुगम, सुरक्षित और निश्चित मार्ग हैं|
भगवान् का नाम जान-बूझकर लिया जाये या अनजाने में, होशियारी से लिया जाये या लापरवाही से, ठीक से लिया जाये या गलत ढंग से, वह वांछित फल की प्राप्ति अवश्य करायेगा| जप की संख्या का विशेष महत्त्व नहीं हैं | शुद्धता, एकाग्रता और भावना ही आवश्यक हैं|

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