Wednesday 28 May 2014

प्रेम रस का प्याला हैं

श्याम का दरबार सारे जग से निराला हैं
ये भक्तो का रखवाला हैं श्याम का दरबार
हैं अभय दानी भय दूर करता हैं गले से ये लगाये
प्रेम से कोई इनको बुलाता हैं ये दौड़ा दौड़ा आये
नाम तुम जप लो यही बस प्रेम रस का प्याला हैं
दीन बंधू हैं करुणा का सिंधु हैं दया का हैं खजाना
रंक क्या राजा इसकी दया चाहे झुकाए सिर जमाना
काल दुष्टों का भगत की खातिर भोला भाला हैं
सभी श्याम भक्तो को प्यार भरा जय श्री श्याम...ओम श्री श्याम देवाय नम:...जय बाबा की.....बाबा श्याम की कृपा हमेशा आप पर बनी रहे.....हमारी पहचान.....बाबा श्याम
हारे के सहारे की जय....तीन बाण धारी की जय....शीश के दानी की जय

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