Friday 19 September 2014

आत्मा और परमात्मा की शक्तियाँ इस तरह की मानी गई हैं।

आकाश में ऐसी तरंगें उत्पन्न करने वाले कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि उनका जीवन काल 2.2&10-6 सेकेण्ड का होता है अर्थात् अस्तित्व में कब आते हैं और कब नष्ट हो जाते हैं इसका अनुमान भी नहीं किया जा सकता। यह कण धन और ऋण दोनों आवेशों वाले होते हैं, उनकी संगति, विचार और भावनाओं के त्वरित निर्माण से स्पष्ट मेल खा जाती है। हम जिस देवता की ध्यान धारणा करते हैं उसी तरह की क्षमताओं से सम्पन्न होने का रहस्य अपने अन्दर इस तरह के अत्यन्त सूक्ष्म करोड़ों टन वाली ऊर्जा के कणों का संचय ही है। जो शक्तियाँ जितनी बलवती होती हैं वह उतनी ही अधिक सिद्ध और सामर्थ्य अपने उपासक को दे जाती है। आत्मा और परमात्मा की शक्तियाँ इस तरह की मानी गई हैं। यह वस्तुतः नाभिकीय चेतनाएँ (न्यूक्लियर एक्टिविटीज) हैं इनका कारण क्यू-मेसान न्यूट्रिनो और पाई मेसान जैसे अत्यन्त सूक्ष्म कणों में से कोई हो सकते हैं। गैलेक्सी के चुम्बकीय क्षेत्र भी इन पर प्रभाव नहीं डाल सकते। इनकी क्रियायें बड़ी स्वतन्त्र हैं। आज-कल आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक इन आकाश-कणों की बड़ी तत्परतापूर्वक खोज करने में संलग्न है।
बम्बई के टाटा इंस्टीट्यूट के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा०. प्राइस ने अपनी हाल की खोजों में यह पता लगाया कि ब्रह्माण्ड-किरणों और अन्य ऊज्वैसित कण जब ठोस पदार्थों से गुजरते हैं तो वे उसमें अपना स्थायी प्रभाव छोड़ जाते हैं। इस छोड़े हुये प्रभाव को अब सूक्ष्मदर्शी यन्त्रों से देखा जाना सम्भव हो गया। डा०. प्राइस का कहना है कि जड़ पदार्थों में करोड़ों वर्ष पूर्व से विद्यमान् इन चेतन किरणों का प्रभाव अभी भी विद्यमान् हैं। उसके आधार पर कहीं भी बैठकर ब्रह्माण्ड में हो चुकी या अब जो हो रही है और सम्भव हुआ तो आगे करोड़ों वर्ष तक घटित होने वाली घटनाओं का दृश्य देखा जा सकेगा। यह स्थिति त्रिकाल दर्शन की नहीं तो और क्या होगी? उसी बात को आकाश तत्त्व से प्राप्त करने की बात भारतीय तत्त्ववेत्ता कहते हैं तो उससे इनकार क्यों किया जाता है? यह ब्रह्माण्ड किरणें भी कोई अधिक नहीं हैं। जिस तरह आकाश में तीन ही प्रकार के सूक्ष्म कण (ऊपर बताये गये) पाये जाते हैं उसी प्रकार इस तरह चिर प्रभाव वाली ब्रह्माण्ड किरणों की संख्या बहुत थोड़ी है, यह बात डा०. प्राइस भी मानते हैं।
विज्ञान की गहराई की तरह आकाश की गहराई भी अनन्त है, उसकी शक्तियाँ अनन्त हैं, सिद्धियाँ अनन्त हैं, अभी तक उनका कोई वैज्ञानिक उपयोग सम्भव नहीं हुआ किन्तु “इनके अध्ययन से मानव प्रकृति के आन्तरिक गूढ़तम रहस्यों में प्रवेश कर सकेगा। इनके अध्ययन से एक ओर तो माइक्रोकोरम के महत्त्वपूर्ण गुणों पर प्रकाश पड़ेगा तथा वायु शावरों का अध्ययन हमारी गैलेक्सी में तथा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में होने वाली अद्भुत मेक्रोकोस्म घटनाओं को समझने में सहायक होगा।”

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