Monday 8 September 2014

नजर तोहे लग जाएगी

मेरे बाँके-बिहारी नन्दलाल,
न करियो इतना श्रंगार
नजर तोहे लग जाएगी ...........
तोरे माथे पे सोहे चन्दन लाल ,
उपर से गल बैजन्ती माल.....
नजर तोहे लग जाएगी ...........
तोरे गोरे -गुलाबी गाल
उपर से घूँघर वारे बाल.......
नजर तोहे लग जाएगी ...........
तोरे कारे-कारे मतवारे नैना 
उपर से मीठी वारी मुस्कान......
नजर तोहे लग जाएगी ...........
तोरे प्यारे-प्यारे लागे बोल,
उपर से ये मतवारी चाल ......
नजर तोहे लग जाएगी ...........
तोरा प्यारा लागे पीला -पटका 
मेरा तो मन वहीं है अटका ....
नजर तोहे लग जाएगी ...........
मोहे प्यारी लागे मुरली धुन 
मैनें तो खो दी है सुध-बुध .....
नजर तोहे लग जाएगी ...........

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