Thursday 4 September 2014

ये भी तो कम नहीं

आदमी देवता न बने, कोई ग़म नहीं।
आदमी दानव न बने, ये भी तो कम नहीं ॥
जीए न औरों के वास्ते, कोई ग़म नहीं ।
जीने दे दूसरों को , ये भी तो कम नहीं ॥
सहारा न बने गैर का, कोई ग़म नहीं ।
आसरा न छीने और का, ये भी तो कम नहीं ॥
गिरतों को न उठाये, कोई ग़म नहीं ।
औरों को न गिराये, ये भी तो कम नहीं ॥
जाने न दूसरों को, कोई ग़म नहीं ।
खुद को ही जान ले , ये भी तो कम नहीं॥
आदमी देवता न बने, कोई ग़म नहीं।
इन्सान ही बनकर रहे, ये भी तो कम नहीं ||

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